Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पीड़मणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए विकसियवर कमलणयणे पयलियवर कडगतुडियके उरमउडकुंडलहारविरायंतरड़यवच्छे पालंबलंबमाणघोलंत भूसण धरे ससंभ्रमं तुरियं च वलं सुरवरे जाव सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ ना पायपीढाओ पच्चोरुहति त्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेति त्ता सत्तट्ठ पयाई तित्थयराभिमुहं अणुगच्छति ता वामं जाणुं अंचेति ता दाहिणं जाणं धरणितलंसि णिहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि णिवेसेड़ ता ईसिं पच्चन्नमइ ना करतलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं व्० - णमोऽत्यु णं अरिहंताणं भगवंताणं आदिगराणं तित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसोत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुंडरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहिआणं लोगपईवाणं लोगपज्जोयगराणं अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं जीवदयाणं सरणदयाणं बोहिदयाणं धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टीणं अप्पडिहयवर नाणदंसणधराणं वियट्टच्छउमाणं जिणाणं जावयाणं तिष्णाणं तारयाणं बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोयगाणं सव्वन्नूणं सव्वदरसीणं सिवमयलमरुयमणंतमक्खयमव्वा बाहमपुणरावत्तिं सिद्धिगइनाम धेयं ठाणं संपत्ताणं, नमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स, वंदामि णं भगवन्तं तत्थ गयं इह गते पासइ ( प्र० उ ) मे भगवं तत्थ गते इह गतंतिकटु वंदति णर्मसति ता सीहासणवरगए पुव्वाभिमुहं सण्णिसण्णे ५ तए णं तस्स सूरिया भस्स इमे एतारूवे अम्मत्थिते चिंतिते पत्थिते मणोगते संकप्पे समुपज्जित्था एवं खलु समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्पाणयरीए बहिया अंबसालवणे चेइए ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ २ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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