Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandie
पएसी! हथिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे, से गूणं भंते! हत्थीउ कुंथू अपकम्मतराए चेव अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए| चेव एवं आहारनीहारउस्मानीसासइड्ढीपहावजुई अपतराए चेव, एवं च कुंथूओ हत्थी महाकम्मतराए चेव महाकिरिय जाव ?, हंता पएसी! हत्थीओ कुंथू अप्पकम्मतराए चेव कुंथुओ वा हत्थी महाकम्मतराए चेव तं चेव, कम्हा णं भंते! हथिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे?, पएसी! से जहाणामए कूडागारसाला सिया जाव गंभीरा अह णं केई पुरिसे जोई व दीवं गहाय तं कूडागारसालं अंतो २ अणुपविसइ तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता धणनिचियनिरंतराणि णिच्छिड्डाई दुवारवयणाई पिहेति ता तीसे कूडागारसालाए बहुमझदेसभाए तं पईवं पलीवेजा तए णं से पईवे तं कूडागारसालं अंतो ओभासइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, णो चेव णं बाहि, अह णं से पुरिसे तं पईवं इड्डरएणं पिहेज्जा तए णं से पईवे तं इड्डरयं अंतो ओभासेइ णो चेव णं इड्डरगस्स बाहिं णो चेवणं कूडागारसालाए बाहिं, एवं किलिंजेणं गंडमाणियाए पच्छिपिडएणं आढतेणं अद्धाढतेणं पत्थएणं अद्धपत्थएणं अट्ठभाइयाए चाउभाइयाए सोलसियाए छत्तीसियाए उसद्वियाए दीवचंपएणं तए णं से पदीवे दीवचंपगस्स अंतो ओभासति० नो चेव णं दीवचंपगस्स बाहिं नो चेवणं चउसट्टियाए बाहिं णो चेव णं कूडागारसालं णो चेव णं कूडागारसालाए बाहिं, एवामेव पएसी! जीवेऽवि जं जारिसयं पुवकम्मनिबद्धं बोदि णिव्वत्तेइ तं असंखेजेहिं जीवपदेसेहिं सच्चित्तं करेइ खुड्डियं वा महालियं वा तं सहहाहि णं तु पएसी! जहा तं चेव १०७४। तए णं पएसी राया केसिं कुमारसमणं एवं व० एवं खलु भंते! मम अजगस्स ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
| ९४ ।
पू. सागरजी म. संशोधित||
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121