Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobairthorg
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जलते हतुद्वजावहियए जहेव कूणिए तहेव निग्गच्छइ अंतेउपरियाल सद्धिं संपरिवुडे पंचविहेणं अभिगमेणं वंदइ नमसइ एयमटुं भुजो २ सम्म विणएणं खामेइ ७७। तए णं केसी कुमारसमणे पएसिस्स रण्णो सूरियकंतप्यमुहाणं देवीणं तीसे य महतिमहालियाए महच्चपरिसाए जाव धम्म परिकहेइ, तए णं से पएसी राया धम्म सोच्चा निसम्म उठाए उद्वेति त्ता केसिकुमारसमणं वंदइ नमसइ त्ता जेणेव सेयविया नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए ण केसी कुमारसमणे पएसिरायं एवं व०. माणं तुम पएसी! पुव्विं रमणिज्जे भवित्ता पच्छ। अरमणिज्जे भविज्जासि जहा से वणसंडेइ वा णसालाइ वा इक्खुवाडएइ वा खलवाडएइ वा, कह णं? भंते!, वणसंडे पत्तिए पुफिए फलिए हरियगरेरिज्जमाणे सिरिए अतीव उक्सोभेमाणे २ चिट्ठइ तथा णं वणसंडे रमणिज्जे भवति, जया णं वणसंडे नो पत्तिए नो पुष्फिए नो फलिए नो हरियगरिरेजमाणे णो सिरीए अईव उवसोभेमाणे २ चिट्ठइ त्या णं जुन्ने झडे परिसडियपंडुपत्ते सुक्रुक्खे इव भिलायमाणे चिट्ठइ तयाणवणे णो रमणिज्जे भवति, जया णंणसालावि गिजइ वाइज्जइ नच्चिज्जइ हसिज्जइ रमिज्जइ त्या णं णसाला रमणिज्जा भवइ जया णं नट्टसाला णो गिज्जइ जाव णो रमिजइ त्या णं णमुसाला अमणिज्जा भवति, जया णं इक्खुवाडे छिज्जइ भिजइ सिजइ पिज्जइ दिजइ त्या णं इक्खुवाडे रमणिजे भवइ जया णं इक्खुवाडे णो छिज्जइ जाव त्या इक्खुवाडे अमणिज्जे भवइ, जया णंखलवाडे उच्छुब्भइ उडुइज्जइ मलइजइ पुणिज्जइ खज्जइ पिज्जइ दिजइ त्या णं खलवाडे रमणिजे भवति जया णं खलवाडे नो उच्छुब्भइ जाव अरमणिज्जे भवति, से तेणटेणं पएसी! एवं वुच्चइ मा णं तुम ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121