Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 50
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie || २ तहिं २ वेइयासु वेइयाबाहासु य वेइयफलतेसु य वेइयपुडंतरेसु य खंभेसु खंभबाहासु खंभसीसेसु खंभपुडंतरेसु सुयीसु सुयीमुखेसु सूईफलएसु सूइपुडंतरेसु पक्खेसु पक्वबाहासु पक्खपेरंतेसु पक्खपुडंतरेसु बहुयाई उम्पलाई एउमाई कुभुयाई णलिणातिं सुभगाई सोगंधियाई पुंडरीयाई महापुंडरीयाणि सयवत्ताई सहस्सवत्ताई सव्वरयणामयाई अच्छाई पडिरूवाई महया वासिक्यच्छत्तसमागाई पं० समणाउसो! से एएणं अटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ पउमवरवेझ्या २, पउमवरवेझ्या णं भंते! किं सासया असासया?, गोयमा! सिय सासया सिय असासया, सेकेणटेणं भंते! एवं वुच्चइ सिय सासया सिय असासया?, गोयमा! दवट्ठयाए सासया वनपज्जवेहिं गंधपजवेहिं रसपज्जवेहिं फासपजवेहिं असासया, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चति सिय सासया सिय असासया, पउमवरवेइया णं भंते! कालओ केवचिरं होइ?, गोयमा! " कयावि णासी ॥ कयावि णस्थि न कयावि न भविस्सइ भुविं च हवइ य भविस्सइ य धुवा णिइया सासया अक्खया अव्वया अवट्ठियां णिच्चा पमवरवेइया, से णं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई चक्कवालविक्खंभेणं उवयारियालेणसमे परिक्खेवेणं, वणसंडवण्णतो भाणितव्वो जाव विहरंति, तस्स णं उवयारियालेणस्स चउदिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरुवगा पं० वण्णओ तोरणा झया छत्ताइच्छत्ता, तस्स णं उवयारियालयणस्स उवरि बहुसमरमणिजे भूमिभागे पं० जाव मणीणं फासो । ३४ । तस्स णं बहुसभरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमझदेसभाए एत्थ णं महेगे पासायवडेंसए पं०, से गं पासायवडिंसते पंच जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं अड्ढाइजाइंजोयणसयाई विक्खंभेणं अब्भुग्गयभूसिय वण्णतो भूमिभागो उल्लोओ ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ | ३९ । पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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