Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 63
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पउमुप्पलपिहाणेहिं सुकुमालकोमलकरयलपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवनियाणं कलसाणं जाव असहस्सेणं भोमिजाणं|| कलसाणं सव्वोदएहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतूयरेहिं जाव सव्वीसहिसिद्धत्थएहि य सव्विड्ढीए जाव वाइएणं महया २ इंदाभिसेएणं अभिसिंचंति, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स महया २ इंदाभिसेए वट्टमाणे अप्पेगतिया देवा सूरिया विमाणं नच्चोयगं नातिमट्टियं पविरलप्पफुसियररेणुविणासणं दिव्वं सुरभिगंधोदगं वासं वासंति अप्पे० हयस्यं नटुरयं भटुरयं उवसंतरयं पसंतस्यं करेंति अप्पे० आसियसंमजिओवलितं सुइसमटुरत्यंतरावणवीहियं करेंति अप्पे० मंचाइमंचकलियं करेंति अप्पे० णाणाविहरागोसियझयपडागाइपडागमंडियं करेंति अप्पे० लाउलोइयमहियं गोसीससरसरत्तचंदणदहरदिण्णपंचंगुलितलं करेंति अप्पे० उवचियचंदणकलसं चंदणघडसुक्य तोरणपडिदुवारदेसभागं करेंति अपे० आसत्तोसत्तविउलवग्धारियमल्लदामकलावं करेंति अप्पे० पंचवण्णसुरभिमुक्कपुष्फपुंजोवयारकलियंकरेंति अप्पे० कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्षधूवमधमपंतगंधुझ्याभिरामं करेंति अप्पे० सुगंधगंधियं गंधवहिभूतं करेंति अप्पे० हिरण्णवासं वासंति सुवण्णवासं वासंति स्ययवासं वासंति वइरवासं० पुप्फवासं० फलवासं० मालवासं० गंधवासं० चुण्णवासं० आभरणवासं वासंति अप्पे० हिरण्णविहिं भाएंति एवं सुवन्नविहिं स्यणविहिं (३० वयरविहिं) पुष्फविहिं फलविहिं मल्लविहिं चुण्णविहिं वत्थविहिं गंधविहिं तत्थ अप्पेगतिया देवा आभरणविहिं भाएंति, अप्पेगतिया चव्विहं वाइवाइंति तं०-ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पेगइया देवा चव्विहं गेयं गायंति, तं०-उक्खित्तायं पायत्तायं मंदाय रोइतावसाणं अपेगतिया देवा | श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ पू. सागरजी म.संशोधित For Private and Personal Use Only

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