Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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अभिसमन्त्रागए पुव्वभवे के आसी किंनामए वा को वा गुत्तेणं क्यासि वा गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा किंवा दच्चा किंवा भोच्चा किं वा किच्चा किं वा समायरिता कस्स वा तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं सुच्चा निसम्म जण्णं सूरियाभेणं देवेणं सा दिव्या देविड्ढी जाव देवाणुभागे लद्धे पत्ते अभिसमन्त्रागए ४७) गोयमाई! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं आमंतेत्ता एवं व०-एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे केयइअद्धे नामे जणवए होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, तत्थ णं केयइअद्धे जणवए सेयविया णाम नगरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा जाव पडिरूवा, तीसे णं सेयवियाए नगरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे एत्य णं भिगवणे णामं उज्जाणे होत्था रम्मे नंदणवणप्पगासे सव्वोउयफलसमिद्धे सुभसुरभिसीयलाए छायाए सवओ चेव समणुबद्ध पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थ णं सेयवियाए णगरीए पएसी णामंराया होत्था महयाहिमवंत जावविहरइ अधम्मिए अधम्मिटे अधम्मक्खाई अधम्माणुए अधम्मपलोई अधम्मपजण( लज्जणे अधम्मसीलसमुयायारे अधम्मेण चेव वित्तिं कप्पेमाणे हणछिंदभिंदापवत्तए चंडे रुद्दे खुद्दे लोहियपाणी साहसिए उकंचणवंचणमायानियडिकूडकवडसायिसंपओगबहले निस्सीले निव्वए निग्गुणे निम्मेरे निप्पच्चक्खाणपोसहोववासे बहूणं दुपयचउप्प्यमियपसुपक्खीसरिसवाण घायाए वहाए उच्छेणयाए अधम्मऊ समुट्ठिए गुरूणं णो अब्भुद्वेति णो विणयं पउंजड़ समण (माहणभिक्खुगाणं) सयस्सवियणंजणवयस्स णो सम्मं करभरवित्तिं पवत्तेइ ४८ तस्स णं पएसिस्स स्त्रो सूरियता | श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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