Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 77
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie तं महत्थं जाव पाहुडं गिण्हइ त्ता जेणेव अभितरिया उवट्ठाणसाला जेणेव जियसत्तू राया तेणेव उवागच्छइ त्ता जियसत्तुं रायं करयलपरिग्गहियं जाव कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ त्तातं महत्थंजाव पाहुडं उवणेइ, तए णं से जियसत्तू राया चित्तस्स सारहिस्स/ तं महत्थं जाव पाहुडं पडिच्छइ त्ता चित्तं सारहिं सक्कारेइ सम्भाणेति त्ता पडिविसज्जेइ रायमग्गभोगाढं च से आवासं दलयइ, तए णं से चित्ते सारही विसज्जिते समाणे जियसत्तुस्स रनो अंतियाओ पडिनिक्खमइ त्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ त्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरूहइ सावत्थि नगरि मझमझेणं जेणेव रायभागमोगाढे आवासे तेणेव उवागच्छइ त्ता तुरए निगिहण्इ त्ता रहं ठवेइ त्ता रहाओ पच्चोरुहइ, हाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्यावेसाई मंगलाई वत्थाई पवरपरिहिते अप्पमहग्धाभरणालंकियसरीरे जिभियभुत्तुत्तरागएऽविय णं समाणे पुव्वावरण्हकालसमयंसि गंधव्वेहि य णाडगेहि य उवनच्चिज्जमाणे उवगाइज्जमणे उवलालिजमाणे इष्टे सदफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणे विहरइ ॥५२॥ तेणं कालेणं० पासावच्चिजे केसी नाम कुमारसमणे जातिसंपण्णे कुलसंपण्णे बलसंपण्णे रूवसंपण्णे विणयसंपण्णे नाणसंपण्णे दंसणसंपन्ने चरित्तसंपण्णे लजासंपण्णे लाघवसंपण्णे ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोहे जियणि जितिंदिए जियपरीसहे जीवियासभरणभयविष्यमुक्के वयप्पहाणे गुणप्पहाणे करणप्पहाणे चरणप्पहाणेनिग्गहपहाणे अज्जवष्पहाणे महवप्पहाणे लाधवप्पहाणे खंतिप्पहाणे मुत्तिष्पहाणे विजप्पहाणे मंतप्पहाणे बंभष्पहाणे नयप्पहाणे नियमप्यहाणे ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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