Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 70
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org दगधाराए• सरसेणं गोसीसचंदणेणं० पुष्फारुहणं० आसत्तोसत्त० धूवं दलयति, सिद्धाययणं अणुपयाहिणीकरेमाणे जेणेव उत्तरिल्ला णंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति ता तं चेव, जेणेव उत्तरिल्ले महिंदज्इए तेणेव उवागच्छइ तं चेव जाव जेणेव उत्तरिल्ले चेइयरुक्खे तेणेव उवागच्छति जेणेव उत्तरिल्ले चेइयथूमे तहेव, जेणेव पच्चत्थिमिल्ला पेढिया जेणेव पच्चत्थिमिल्ला जिणपडिमा तं चेव, उत्तरिल्ले पेच्छाघरमंडवे तेणेव उवागच्छति ना जा चेव दाहिणिल्लवत्तव्वया सा चैव सव्वा पुरच्छिमिल्ले दारे दाहिणिल्ला खंभपंती तं चैव सव्वं, जेणेव उत्तरिल्ले मुहमंडवे जेणेव उत्तरिल्लरस मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तं चैव सव्वं, पच्चत्थिमिल्ले दारे तेणेव उत्तरिल्ले दारे दाहिणिल्ला खंभपंती सेसं तं चैव सव्वं, जेणेव सिद्धायतणस्स उत्तरिल्ले दारे तं चेव, जेणेव सिद्धायतणस्स पच्चत्थिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छंइ त्ता तं चेव जेणेव पुरच्छिमिल्ले मुहमंडवे जेणेव पुरच्छिमिल्लरस मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छड़ त्ता तं चेव, पुरच्छिमिल्लस्स मुहमंडवस्स दाहिणिल्ले दारे पच्चत्थिमिल्ला खंभपंती उत्तरिल्ले दारे तं चेव, पुरच्छिभिल्ले दारे तं चेव, जेणेव पुरच्छिमिल्ले पेच्छाघरमंडवे एवं थूभे जिणपडिमाओ चेइयरुक्खा महिंदझया गंदा पुक्खरिणी तं चेव जाव धूवं दलइ त्ता जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छति त्ता सभं सुहम्मं पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसइ ता जेणेव माणवर चेइयखंभे जेणेव वइरामए गोलवट्टसमुग्गे तेणेव उवागच्छइ त्ता लोमहत्थगं परामुसइ त्ता वइरामए गोलवट्टसमुग्गए लोमहत्थेणं पमज्जइ त्ता वइरामए गोलवट्टसमुग्गए विहाडे त्ता जिणसगहाओ लोमहत्थेणं पमज्जइ त्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ त्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि य मल्लेहि य अच्चेइ धूवं दलयइ ।। श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ५९ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only

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