Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 71
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्ता जिसकहाओ वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु पडिनिक्खिवइ माणवगं चेइयखभंलोमहत्थएणं पमजइ दिव्वाए दगधाराए सरसेणं |गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ पुष्फारुहणं जाव धूवं दलयङ्ग, जेणेव सीहासणे तं चेव, जेणेव देवसयणिज्जे तं चेव, जेणेव खुड्डागमहिंदज्झए तं चेव, जेणेव पहरणकोसेचोप्यालए तेणेव उवागच्छइ त्ता लोमहत्थगं परामुसइ त्ता पहरणकोसं चोप्पालं लोमहत्थएणं पमज्जइत्ता दिव्वाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चा दलेइ पुष्फारुहणं० आसत्तोसत्त जावधूवं दलयइ,जेणेव सभाए सुहम्माए बहुमज्झदेसभाए जेणेव मणिपेढिया जेणेव देवसयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ त्ता लोमहत्थग परामुसइ देवसयणिज्ज च मणिपेढियं च लोमहत्थएणं पमज्जइ जावधूवं दलयइ त्ता जेणेव उववायसभाए दाहिणिल्ले दारे तहेव अभिसेयसभासरिसं जाव पुरच्छिमिल्ला गंदा पुस्खरिणी जेणेव हरए तेणेव उवागच्छइ त्ता तोरणे य तिसोवाणे य सालिभंजियाओ य वालरूवए य तहेव, जेणेव अभिसेयसभा तेणेव उवागच्छइ त्ता तहेव सीहासणं च मणिपेढियं च सेसं तहेव आययणसरिसं जाव पुरच्छिमिल्ला गंदा पुक्खरिणी जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छइ त्ता जहा अभिसेयसभा तहेव सव्वं जेणेव ववसायसभा तेणेव उवा० त्ता तहेव लोमहत्थयं परामुसति पोत्थ्यस्यणं लोमहत्थएणं पमजइ त्ता दिव्वाए दगधाराए अग्गेहिं वरेहि य गंधेहि मल्लेहि य अच्चेति त्ता मणिपेढियं सीहासणं च सेसंतं चेव, पुरच्छिमिल्ला नंदा पुक्खरिणी जेणेव हरए तेणेव उवागच्छइ त्ता तोरणे य तिसोवाणे य|| सालिभंजियाओ य वालरूवए य तहेव, जेणेव बलिपीढं तेणेव उवागच्छइ त्ता बलिविसजणं करेइ आभिओगिए देवे सदावेइ त्ता ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ ६० पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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