Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 66
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie |कुंडलाई चूडामणिं मउड पिणद्धेइ त्ता गंथिमवेढिमपरिमसंधाइमेणं चविहेणं मलेणं कप्परुक्खगंपिव अप्पाणं अलंकियविभूसियं करेइ ता दद्दरमलयसुगंधगंधिएहिं गायाई भुखंडेइ दिव्वं च सुमणदाम पिणद्धेइ १४२। तए णं से सूरियाभे देवे केसालंकारेणं मल्लालंकारेणं आभरणालंकारेणं वत्थालंकारेणं चव्विहेणं अलंकारेणं अलंकियविभूसिए समाणे पडिपुण्णालंकारे सीहासणाओ अब्भुढेति त्ता अलंकारियसभाओ पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव ववसयसभा तेणेव उवागच्छति ववसायसभं अणुपयाहिणीकरमाणे पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति जेणेव सीहासणवरए जाव सनिसने, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा देवा पोत्थ्यस्यणं उवणे(प्र० मंति, तते णं से सूरिया देवे पोत्थयरयणं गिण्हति त्ता पोत्थ्यरयणं मुयइ त्ता पोत्थयरयणं विहाडेइ त्ता पोत्थयरयणं वाएति त्ता धम्मियं ववसायं गिण्हति त्ता पोत्थयरयणं पडिनिक्खिवइत्ता सीहासणातो अब्भुटेति त्ता ववसायसभातो पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं पडिनिक्खमइ त्ता जेणेव नंदा पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति त्ता णंदापुक्खरिणिं| पुरच्छिमिल्लेणं तोरणेणं पुरच्छिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहइ त्ता हत्थपादं पक्खालेति त्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए एगं महं सेयं श्ययामयं विमलसलिलपुण्णं मत्तगयमुहागितिसमाणं भिंगारं पगेण्हति त्ता जाई तत्थ उप्पलाई जाव सतसहस्सपत्ताई ताई गेण्हति त्ता णंदातो पुक्खरिणीतो पच्चोरुहति त्ता जेणेव सिद्धायतणे तेणेव पहारेत्थ गमणाए १४३। तए णं तं सूरियाभं देवं चत्तारि य सामाणियसाहस्सीओ जाव सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ अन्ने य बहवे सूरियाम् जाव देवीओ य अप्पेगतिया देवा ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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