Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 55
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमयी जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उवरि एत्य णं माणवए चेइयखंभे पं० सदि जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं जोयणं उव्वेहेणं जोयणं विक्खंभेणं अडयालीसं अंसिए अडयालीसं सइकोडीए अडयालीसं सइविग्गहिए सेसं जहा महिंदज्झयस्स, माणवगस्स णं चेइयखंभस्स उवरि बारस जोयणाई ओगाहेत्ता हेद्वावि बारस जोयणाई वजेत्ता मज्झे छत्तीसाए जोयणेसु एत्थ णं बहवे सुवण्णरुप्पमया फलगा पं०, तेसु णं सुवण्णरुप्पामएसु फलएसु बहवे वइरामया णागदंता पं०, तेसु णं वइरामएसु नागदंतेसु बहवे श्ययामया सिक्कगा पं०, तेसु णं श्ययामएसु सिक्कगेसु बहवे वइरामया गोलवट्टसमुग्गया पं०, तेसु णं वयरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहवे (हूओ) जिणसकहातोसंनिक्खित्ताओ चिटुंति तातो णं सूरियाभस्स देवस्स अन्नेसिं च बहूणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ जाव पजुवासणिज्जातो, माणवगस्सणं चेइयखंभस्स उवरि अट्ठमंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता । ३६ । तस्स माणगस्स चेइयखंभस्स पुरच्छिमेणं एत्य णं महेगा मणिपेढिया पं०, अट्ट जोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्त जोयणाई बाहलेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उवरि एत्य णं महेगे सीहासणे वण्णतो सपरिवार, तस्स णं माणवगस्स चेइयखंभस्स पच्चस्थिमेणं एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पं० अटु जोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उवरि एत्थ णं महेगे देवसयणिज्जे पं०, तस्स णं देवसयणिजस्स इमेयारूवे दण्णावासे पं० २०-णाणामणिमया पडिपाया सोवनिया पाया णाणामणिमयाई पायसीसगाई जंबूणयामयाइं गत्तगाई ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ।। पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121