Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाइं बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवातो, तेसिं णं मणिपेढियाणं उवरिं चत्तारि जिणपडिमातो जिणुस्सेहपमाणमेत्ताओ संपलियंक निसन्नाओ थूभाभिमुहीओ सन्निक्खित्ताओ चिट्ठति तं०-उसभा वद्धमाणा चंदाणणा वारिसेणा, तेसिं णं थूभाणं पुरतो पत्तेयं २ मणिपेढियातो पं०, ताओ णं मणिपेढियातो सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ जाव पडिरूवातो, तासिं णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं २ चेइयरुक्खे पं०, ते णं चेइयरुक्खा अट्ठ जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं अद्धजोयणं उव्वेहेणं दो जोयणाई खंधा अद्धजोयणं विक्खंभेणं छ जोयणाई विडिमा बहुमज्झदेसमाए अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं पं०, तेसिं णं चेइयरुक्खाणं इमेयारूवे वण्णावासे पं० तं०वयरामया मूला रययसुपइट्टिया सुविडिमा रिट्ठामयविउला कंदा वेरुलिया रुइला खंधा सुजायवरजायरुवपढमगा विसालसाला नाणामणिमयरयणविविहसाहप्पसाहा वेरुलियपत्ततवणिजपत्तबिंटा जंबूणयरत्तमउयसुकुमालपवालसोभिया वरंकुरग्गसिहरा विचित्तमणिरयणसुरभिकुसुमफलभर नमियसाला अहियं मणनयणणिव्वुइकरा अमयरससमर सफला सच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोया पासाईया०, तेसिं णं चेइयरुक्खाणं उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झ्या छत्ताइच्छत्ता, तेसिं णं चेइयरुक्खाणं पुरतो पत्तेयं २ मणिपेढियाओ पं०, ताओ णं मणिपेढियाओ अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ, तासिं णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं २ महिंदज्झया पं०, ते णं महिंदझया सट्ठि जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं जोयणं ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
४२
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121