Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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णं ववसायसभाए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं नंदापुक्खरिणी पं० हरयसरिसा, तीसे णं णंदाए पुक्खरिणीए उत्तरपुरच्छिमेणं महेगे बलिपीढे पं० सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे । ४० । तेणं कालेणं० सूरियाभे देवे अहणोववण्णभित्तए चेव समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तीभावं गच्छइ तं०-आहारपजत्तीए सरीर० इंदिय० आणपाण० भासामणपजत्तीए, नए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तीभावं गयस्स समाणस्स इमेयारूवे अम्मत्थिए चिंतिए पेन्थिए मणोगए संकष्पे समुष्पज्जित्था किं मे पुव्वि करणिजं किं मे पच्छा करणिजं किं पुव्वि सेयं किं मे पच्छा सेयं किं मे पुव्विपि पच्छावि हियाए सुहाए खमाए णिस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ ?, नए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा देवा सूरिया भस्स देवस्स इमेयारूवमब्मत्थियं जाव समुप्पन्नं समभिजाणित्ता जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छंति सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु जएणं विजयएणं वद्धाविन्ति ता एवं व० एवं खलु देवाणुम्पियाणं सूरियाभे विमाणे सिद्धायतणंसि जिणपडिमाणं जिणुस्सेहपमाणमित्ताणं अट्ठसयं संनिक्खित्तं चिट्ठति, सभाए णं सुहम्माए माणवए चेइए खंभे वइरामएस गोलवट्टसमुग्गएसु बहूइओ जिणसकहाओ संनिक्खित्ताओ चिट्ठति, ताओ णं देवाणुप्पियाणं देवाण य देवीण य अच्चणिजाओ जाव पज्जुवासणिजाओ, तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पुव्विं करणिज्जं तं एयं णं देवाणुम्पियाणं पच्छा करणिजं तं एवं णं देवाणुम्पियाणं पुव्वि सेयं तं एवं णं देवाणुपियाणं पच्छा सेयं तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पुव्विपि पच्छावि हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सति ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम ||
पू. सागरजी म. संशोधित
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