Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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जोयणाई उड्ढेउच्चत्तेणं सव्वरयणामए जावपडिरूवे, एत्थणं अट्ठसयं जिणपडिमाणं जिणुस्सेहप्पमाणमित्ताणं संनिक्खित्तंसंचिट्ठति, तासिंणं जिणपडिमाणं इमेयारूवेवण्णावासे पं०२०-तवणिज्जमया हत्थतलपायतला अंकामयाई नक्खाई अंतोलोहियक्खपडिसेगाई कणगामईओ जंघाओ कणगाम्या जाणू कणगामया ऊरू.कणगामईओ गायलट्ठीओ तवणिजमयाओ नाभीओ रिहामईओ रोमाईओ तवणिजभ्या चुचूया तवणिजमया सिरिवच्छ। सिलप्पवालमया ओढा फालियामया दंता तवणिजमईओ जीहाओ तवणिजमया तालुया कणगामईओ नासिगाओ अंतोलोहियक्खपडिसेगाओ अंकामयाणि अच्छीणि अंतोलोहियक्खपडिसेगाणि रिद्वामईओ ताराओ रिद्वामयाणि अच्छिपत्ताणि रिद्वामईओ भमुहाओ कणगामया कवोला कणगामया सवणा कणगामईओ णिडालपट्टियातो वइरामईओ सीसघडीओ तवणिजमईओ केसंतकेसभूमीओ रिहामया उवरि मुद्धय तासिं णं जिणपडिमाणं पिटुतो पत्तेयं छत्तयारगपडिमाओ पं०, ताओणं छत्तधारगपडिमाओ हिमस्ययकुंदेंदुष्पगासाई सकोरेंटमल्लदामाई धवलाई आयवत्ताई सलीलधारेमाणीओ चिटुंति, तासिं णं जिणपडिमाणं उभओ पासे पत्तेयं चामरधारपडिमातो पं०, ताओणंचामरधारपडिमातोणाणामणिकणगरयणविमलमहरिह जाव सलीलं धारेमाणीओ चिटुंति, तासिं णं जिणपडिमाणं पुरतो दो दो नागपडिमातो भूयपडिमातो जक्खपडिमाओ कुंडधारपडिमाओ सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव चिटुंति, तासिं णं जिणपडिमाणं पुरतो अट्ठसयं घंटाणं अट्ठसयं कलसाणं अट्ठसयं भिंगाराणं एवं आयंसाणंथालाणं पाईणंसुपइट्ठाणंमणोगुलियाणं वायकरगाणं चित्ताणं रयणकरडगाणं हयकंठाणंजाव उसभकंठाणं पुष्पचंगेरीणं mश्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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