Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
वयरामया संधी णाणामणिमए विच्चे रययामया तूली तवणिजमया गंडोवहाणया लोहियक्खमया बिब्बोयणा, से णं सयणिज्जे उभओ बिब्बोयणे दुहतो उण्णते मज्झे णयगंभीरे सालिंगणवट्टिए गंगापुलिनवालुया उद्दालसालिसए सुविरइयर यत्ताणे उवचियखोमदुगुल्लपट्टपडिच्छायणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे आइणगरुयबूरणवणीयतूलफासे मउते । ३७ । तस्स णं देवसयणिज्जस्स उत्तरपुरच्छिमेणं महेगा मणिपेढिया पं० अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोअणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमयी जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे खुड्डए महिंदज्झए पं० सट्ठि जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं जोयणं विक्खंभेणं वइरामया वट्टलट्ठ संठियसुसिलिट्ठजावपडिरूवा उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तस्स णं खुड्डागमहिंदझयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थं णं सूरियाभस्स देवस्स चोप्पाले नाम पहरणकोसे पं० सव्ववइरामए अच्छे जाव पडिरूवे, तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स फलिहरयण खग्गगयाधणुष्पमुहा बहवे पहरणरयणा संनिक्खित्ता चिठ्ठति उज्जला निसिया सुतिक्खधारा पासादीया०, सभाए णं सुहम्माए उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता । ३८ | सभाए णं सुहम्माए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं महेगे सिद्धायतणे पं० एवं जोयणसयं आयामेणं पन्नासं जोयणाइं विक्खंभेणं बावत्तरिं जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं समागमेणं जाव गोमाणसियाओ भूमिभागा उल्लोया तहेव, तस्स णं सिद्धायतणस्स बहुमज्जदेसभाए एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पं० सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं, तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे देवच्छंदए पं० सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाई सोलस || श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
४५
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121