Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 48
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |पसाहणघरगा गब्भघरगा मोहणघगा सालघरगा जालघगा चित्तघरमा कुसुमघरगा गंधव्वधरगा आयंसघरगा सव्वरयणामया अच्छा|| जाव पडिरूवा, तेसु णं आलियघरगेसु जाव आयंसघरगेसु बहूइं हंसासणाई जाव दिसासोवस्थिआसणाई सव्वरयणामयाई जाव पडिरूवाइं, तेसु णं वणसंडेसु तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे जातिमंडवगा जूहियमंडवगा णवमालियमंडवगा वासंतियमंडवगा सूरमल्लियमंडवगा दहिवासुयमंडवगा तंबोलिभंडवगा मुद्दियामंडवगाणागलयामंडवगा अतिमुत्त्यलयामंडवगा आप्फोवा० मालुयामंडवगा अच्छा सव्वरयणामया जावं पडिरूवा, तेसु णं जालिमंडवएसु जाव मालुयामंडवएसु बहवे पुढवीसिलापट्टगा हंसासणसंठिया जाव दिसासोवत्थियासणसंठिया अण्णेयबहवे मंसलघविसिटुसंठाणसंठिया पुढवीसिलापट्टगा पं० समणाउओ! आइणगरुयबूरणवण्णीयतूलफासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तत्थ णं बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य आसयंति सयंति चिटुंति निसीयंति तुयद॒ति हसतिरमंतिललंति कीलंति किट्टति मोहेंति पुरा पोराणाणंसुचिण्णाणं सुपडि(२)ताणं सुभाणं कडाणं कम्माणं कलाणाणं| कल्लाणं फलविवागं पच्चणुब्भवमाणा विहरति । ३२ । तेसिं णं वणसंडाणं बहुमझदेसभाए पत्तेयं २ पासायवडंसगा पं०, ते णं पासायवडेंसगा पंचजोयणसयाई उड्ढंउच्चत्तेणं उड्ढाइज्जाई जोयणसयाई विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसियपहसियाइव तहेव बहुसमरमणिजभूमिभागो उल्लोओ सीहासणं सपरिवार, तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, तं०असोए सत्तपण्णे चंपए चूए, सूरियाभस्सणं देवविमाणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० २०-वणसंडविहूणे जाव बहवे | श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ | ३७ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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