Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org.
वेमाणिया देवा य देवीओ य आसयंति जाव विहरंति, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसे एत्थ णं महेगे उवगारियालयणे पं० एवं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साई सोलस सहस्साइं दोण्णि य सत्तावीसं जोयणसए तिन्नि य कोसे अट्ठावीसं च घणुसयं तेरस य अंगुलाई अर्द्धगुलंच किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वजंबूणयामए अच्छे जाव पडिरूवे । ३३ । से णं एगाए पउमवर वेइयाए एगेण य वणसंडेण य सव्वतो समंता संपरिक्खिते, सा णं परमवरवेइया अद्धजोयणं उड्ढउच्चत्तेणं पंचधणुसयाई विक्खंभेणं उवकारियलेणसमा परिक्खेवेणं, तीसे णं पउमवर वेइयाए इमेयारूवे वण्णावासे पं० (तं。वयरामया णिम्मा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरुलियामया खंभा सुवण्णरुप्पमया फलगा लोहियक्खमईओ सूईओ नाणामणिमया कडेवरा णाणामणिमया कडेवरसंघाडगा णाणामणिमया रूवा णाणामणिमया रूवसंघाडगा अंकामया पक्खबाहाओ जोइरसामया वंसा वंसकवेल्लुगा रइयामईओ पट्टियाओ जातरूवमई ओहाडणी वइरामया उवरिपुच्छणी सव्वरयणामई अच्छायणे पा० ), सा णं पउमवर वेइया एगमेगेणं हेमजालेणं गवक्खजालेणं खिंखिणीजालेणं घंटाजालेणं मुत्ताजालेणं मणिजालेणं कणगजालेणं रयणजालेणं पउमजालेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, ते णं (दामा पा० ) तवणिजलंबूसगा जाव चिद्वंति, तीसे णं परमवरवेइयाए तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे हयसंघाडा जाव उसभसंघाडा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा पासादीया जाव वीहीतो पंतीतो मिहणाणि लयाओ, से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चति परमवरवेइया २?, गोयमा ! पउमवरवेइया णं तत्थ २ देसे ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
३८
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121