Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं आमलकप्या नामं नयरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा जाव पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा ११। तीसे णं आमलकप्याए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए अंबसालवणे नामं चेइए होत्था, पोराणे जाव पडिरूवे ॥२॥ असोयवरपायवपुढवीसिलावयवत्तव्वया उववातियगमेणं नेया।३। सेओ राया धारिणी देवी सामी सभोसढे परिसा निग्गया जाव राया पज्जुवासइ ।।। तेणं कालेणं० सूरियाभे देवे सोहम्मे कप्पे सूरियाभे विमाणे सभाए सुहम्माए सूरियाभंसि सिंहासणंसि चाहिं |सामाणियसाहस्सीहिं चाहिं अगमहिसीहिं सपरिवाराहिं तीहिं परिसाहिं सत्तहिं अणियेहिं सत्तहिं अणियाहिवईहिं सोलसहि आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अन्नेहि य बहू हिं सूरियाभविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धि संपरिवुडे महयाऽऽहयनदृगीयवाइयतंतीतलतालतुडियषणमुइंगपडुप्पवादियरवेणं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरति, इमं च णं केवलकप्पं जंबूदीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे २ पासति, तत्थ समणं भगवं महावीरं जंबूदीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्याए नयरीए बहिया अंबसालवणे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिहिणत्ता संजमेणं तवसा अप्याणंभावेमाणं पासति त्ता हट्ठतुद्धचित्तमाणंदिए णंदिए ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only

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