Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir |रूवगसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुल्लो यणलेसं सुहफास सस्सिरीयरूवं घंटावलिचलियमहरमणहरसरं सुहं कंत| दरिसणिज जिउणोचियमिसिमितिमणिरयणघंटियाजालपरिक्खितं जोयणसयसहस्सविच्छिण्णं दिव्वं गमणस सिग्धगमणं णामं दिव्वं जाणविमाणं विव्वाहि ता खियामेव एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि ॥१॥ तए णं से आभिओगिए देवे सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठजावहियए करयलपरिम्गहियं जाव पडिसुणेइ त्ता उत्तरपुरच्छिम दिसीभागं अवकमति त्ता वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहणति त्ता संखेजाइं जोयणाई जाव अहाबायरे पोग्गले. त्ता अहासुहमे पोग्गले परियाएइ त्ता दोच्चंपि वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहणित्ता अणेगखंभसयसनिविटुंजाव दिव्ळ जाणविमाणं विवि पवत्ते याविहोत्था, तए णं से आबिओगिए देवे तस्स दिव्वस्स/ जाणविभाणस्स तिदिसिं तओ तिसोवाणपडिरूवर विव्वति, तं०-पुरच्छिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं, तेसिं तिसोवाणपडिरूवगाणं इथे |एकरूवे वण्णावासे पं० २०-वइरामया णिम्मा रिहामया पतिद्वाणा वेरुलियामया खंभा सुवण्णरुप्पमया फलगा लोहितक्खमइयाओ सूईओ वयरामया संधी णाणामणिमया अवलंबणा अवलंबणबाहाओ य पासादीया जाव पडिरूवा, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरओ तोरणा णाणामणिमएसु थंभेसु उवनिविट्ठसण्णिविविविहमुत्तरोवचिया विविहतारारूवोवचिया जाव पडिरूवा, तेसिं गं तोरणाणं उपिं अट्ठमंगलगा पं० २०-सोत्थियसिरिवच्छणंदियावत्तवद्धमाणग भद्दासणकलसमच्छदपणा (प्र० जाव पडिरूवा) तेसिं च णं तोरणाणं उप्पिं बहवे किण्हचामरझए जाव सुकिलचामरझए अच्छे सण्हे रुप्पपट्टे वइरामयदंडे जलयामलगंधिए सुरम्मे ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित || For Private and Personal Use Only

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