Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie
||आयंसाणं इमेयारूवे वनावासे पं० २०-तवणिज्जमया पगंठगा वेरुलियमया सुरया वइरामया दोवारंगा गाणामणिमया मंडला/ अणुग्धसितनिम्मलाते छायाते समणुबद्धा चंदमंडलपडिणिकासा महया अद्धकायसमाणा पं० समणाउसो! तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो वइरनाभथाला पं० अच्छतिच्छडियसालितंदुलणहसंदिट्ठपडिपुत्राइव चिटुंति सव्वजंबूणयमया जाव पडिरूवा महया २ रहचकवालसभाणा पं० समणाउसो!,तेसिंणं तोरणाणं पुरओ पातीओ० ताओणं पाईओ अच्छोदगपरिहत्थाओणाणामणिपंचवनस्स फलहरियगस्स बहुपडिपुन्नाओविव चिटुंति सव्वरयणामईओ अच्छ। जाव पडिरूवाओ महया० गोकलिंजरचक्कसमाणीओ पं० समणासो!, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो सुपट्टा पं० णाणाविहभंडविरइयाइव चिटुंति सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिंणं तोरणाणं पुरओ दो दो मणोगुलियाओ पं०, तासु णं मणगुलियासु बहवे सुवन्नरूप्पमया फलगा पं०, तेसु णं सुवन्नरुप्पमएसु फलगेसु बहवे वयरामया नागदंतया पं०, तेसु णं वयरामएसु णागदंतएसु बहवे वयरामया सिक्कगा पं०, तेसु णं वयरामएसु सिक्कगेसु |किण्हसुत्तसिक्कावच्छिता णीलसुत्तसिझगवच्छिया लोहियसुत्तसिक्कावच्छिया हालिहसुत्तसिक्कावच्छिया सुक्किालसुत्तसिक्कगवच्छिया बहवे वायकरगा पं०, सव्वे वेरुलियमया अच्छ। जाव पडिरूवा, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो चित्ता रयणकरंडगा पं०, से जहाणामए रम्रो चाउरंतचक्क्षवट्टिस्स चित्ते रयणकरंडए वेरुलियमणिफलिहण्डलपच्चोयडे साते पहाते ते पतेसे सव्वतो समंता ओभासति उज्जोवेति तवति भा( पगा) सति एवामेव तेऽवि चित्ता रयणकरंडगा साते पभाते ते पएसे सवओ समंता ओभासंति ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121