Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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पडिसंखेवेभाणे २ जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव आमलकप्या नयरी जेणेव अंबसालवणे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीर तेणेव उवागच्छइ त्ता समणं भगवं महावीरं तेणं दिव्वेणं जाणविमाणेणं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता समणस्स भगवतो महावीरस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसिभागेतं दिव्ळ जाणविमाणं ईसिंचरंगुलमसंपत्तं धरणितलंसि ठवेइत्ता चाहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं दोहिं अणीयाहिं तं०-गंधव्वाणीएण य नट्टाणीएण य सद्धिं संपरिखुडे ताओ दिव्वाओ जाणविमाणाओ पुरच्छिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहति, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ ताओ दिव्याओ जाणविमाणाओ उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहति, अवसेसा देवा य देवीओ य ताओ दिव्याओ जाणविमाणाओ दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहंति, तए णं से सूरियाभे देवे चउहिं अग्गमहिसीहिं जाव सोलसहिं आयरक्खदेवेसाहस्सीहिं अण्णेहि य बहूहिं सूरियाभविभाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धि संपरिवुडे सविड्ढीए जाव णाइयरवेणं जेणेव समणे भगवं| महावीरे तेणेव उवागच्छति त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति त्ता वंदति नभंसति त्ता एवं व०-अहं गं भंते! सूरियाभे देवे देवाणुप्पियं वदामि णमंसामि जाव पजुवासामि १७४ सूरियाभाति ! समणे भगवं महावीरे सूरियाभं देवं एवं व०-पोराणमेयं सूरियामा! जीयमेयं सूरियामा! किच्चमेयं सूरियाभा! करणिजमेयं सूरियामा! आइण्णमेयं सूरियामा! अब्भणुण्णायमेयं सूरियाभा! जण्णं भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिया देवा अहंते भगवंते वंदंति नमसंति त्ता तओ पच्छा साई २ नामगोत्ताईसाहिति, ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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