Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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भगवं महावीरे सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे सूरियाभस्स देवस्स एयमटुं णो आढाति णो परियाणति तुसिणीए संचिट्ठति, तए णं से सूरिया देवे समणं भगवं महावीरं दोच्चंपि एवं २०-तुब्भे णं भंते! सळ जाणह जाव उवदंसित्तएत्तिकटु सम्णं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयहिणपयाहिणं करेइ त्ता वंदति नमसति त्ता उत्तरपुरच्छिम दिसीभार्ग अवक्कमति त्ता वेब्वियसमुग्धाएणं समोहणति त्ता संखिजाई जोयणाई दंडं निस्सरति त्ता अहाबायरे० अहासुहमे० दोच्चपि वेउव्वियसमुग्धाएणं जाव बहुसमरमणिज भूमिभागं विउव्वति से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव मणीणं फासो, तस्सणं बहुसभरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमझदेसभागे पिच्छाघमंडवं विउव्वति अणेगखंभसयसंनिविटुं वण्णतो अंतो बहुसभरमणिज्जभूमिभागं विउव्वइ उल्लोयं अक्खाडगं च मणिपेढियं च विउव्वति तीसे णं मणिपेढियाए उवरि सीहासणं सपरिवारं जावदामा चिटुंति, तए णं से सूरिया देवे सभणस्स भगवतो महावीरस्स आलोए पणामं करेति त्ता अणुजाणउ मे भगवंतिकटु सीहासणवरगए तित्थयराभिमुहे सण्णिसण्णे, तए णं से सूरियाभे देवे तप्पढभ्याए णाणामणिकणगरयणविमलमहरिह निउणोवचियमिसिमिसिंतविरतियमहाभरणकडगतुडियवरभूसणुजलं पीवरं पलंब दाहिणंभुयं पसारेति, तओणं सरिसयाणंसरित्त्याणं सरिव्वयाणंसरिसलावण्णरूवजोव्वणगुणोववेयाणंएगाभरणवसणगहियणिज्जोआणंदुहतोसंवलियम्गणियत्थाणं आविद्धतिलयामेलाणं पिणिद्धगेविजकंचुयाणं उप्पीलियचित्तपट्टपरियरसफेणकावत्तरइयसंगयपलंबवत्थंतचित्तचिल्ललगनियंसणाणंएगावलिकंठरइयसोभंतवच्छपरिहत्थभूसणाणं अट्ठसयंणमुसज्जाणं देवकुमाराणंणिग्गच्छति, ताणारं ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
। २० ।
पू. सागरजी म. संधिना
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