Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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ना तमाणत्तियं पच्चष्पिणंति।१०। तए णं से सूरियाभे देवे तेसिं आभियोगियाणं देवाणं अंतिए एयमठ्ठे सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठजावहियए पायत्ताणियाहिवई देवं सद्दावेति ता एवं व० - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सूरियाभे विमाणे सभाए सुहम्माए मेघोघर सियगंभीर महसर सद्द जोयणपरिमंडलं सुसरघंटं तिक्खुत्तो उल्लालेमाणे २ महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणे २ एवं व० - आणवेति णं भो सूरियाभे देवे गच्छति णं- भो सूरियाभे देवे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आमलकम्पाए णयरीए अंबसालवणे चेतिते समणं भगवं महावीरं अभिवंदए तुम्भेऽवि णं भो देवाणुपिया ! सव्विड्ढीए जाव णातियरवेणं णियगपरिवाल सद्धिं संपरिवुडा सातिं सातिं जाणविमाणाई दुरूढा समाणा अकालपरिहीणं चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतियं पाउम्भवह |११| तए णं से पायत्ताणियाहिवती देवे सूरियाभेणं देवेणं एवं वृत्ते समाणे हट्टतुट्ठजावहियए एवं देवा ! तहत्ति आणा विणएणं वयणं पडिसुणेति ना जेणेव सूरियाभे विमाणे जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव मेघोघर सियगंभीर महुरसद्दा जोयणपरिमंडला सुस्सरा घंटा तेणेव उवागच्छति ता तं मेघोघर सितगंभीर महरसद्द जोयणपरिमंडलं सुसरं घंटं तिक्खुत्तो उल्लालेति, नए णं तीसे मेघोघर सितगंभीर महरसङ्घाते जोयणपरिमंडलाते सुसराते घंटाए तिक्खुत्तो उल्लालियाए समाणीए से सूरियाभे विमाणे पासायविमाणणिक्खुडावडियसद्दघंटापडि सुयासयसह स्ससंकुले जाए यावि होत्या, तए णं तेसिं सूरियाभविमाणवासिणं बहूणं वेमाणियाणं देवाण यदेवीण य एगंतरइपसत्तनिच्चप्पमत्तविसयसुह मुच्छियाणं सुसरघंटारवविउलबोल पडिबोहणे कए समाणे घोसणको उहलदिन्नकन्नए गग्गचित्तउवउत्तमाणसाणं से पायत्ताणीयाहिवई देवे तंसि ॥ श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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