Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

Previous | Next

Page 588
________________ ३०५ ३५५ १८७ ५२ ३२७ १९४ प्रथमं परिशिष्टम् ४२३ विशिष्टशब्दाः पृष्ठाङ्काः विशिष्टशब्दाः पृष्ठाङ्काः णामगोय ३५७ णिगर ३२७ णामवेज २६६, ३१७ णिगुंजमाणी णायज्झण २१३ णिग्गए णायज्झयण ७७,१०३,१०६, १०७, १२९, णिमांथ ७०, १२०, १२८, १६०, ३२८ १३०, १९०, १९१, २१०, ३२९, ३५९ २११, २१२, २१३, २१४, णिग्गंथी १२८, ३२८, ३२९, ३६१ २२३, २२४, २३६, २५०, णिमाच्छमाण २५१, २५६, ३२०, ३२१, णिग्गच्छामि ३३३, ३४७ णिगगत ११४, ३४९ णाया ६, १०२, १०३ णिग्गया २२४, ३१७, ३५८, ३६३-३६५ णायाणं णिग्विण २०६ णायाधम्मकहा णिग्योस णावयक्खति २०५ णिच्चप्पमत्त णावाए १९४ णिच्चला गावावाणियगा १६२ णिच्छय ३, ७ णाविय णिच्छिंडे १३० णालं णिच्छुब्भंति २६२ णालिएराणं १९५ णिच्छुभाविया १७४ णासाबंधेहिं ३२९ णिच्छुभावेति णाह २०६ णिच्छुहण णिउण णिच्छूढे ३०५ णिउणकुसल णिच्छोडण २६२ णिउणसिप्योवगय(त) १५, १९५ णिजामए ३२१, ३२२ णि उत्ता णिजायमाण २३६ णिउरवरपुप्फपीवरकर १९७ णिडाल ३०४ जिंदंति णित्तेया २४, ४४ जिंबोलिया २६१, २६२ णित्थक्क २०६ णिकहाहिं ३४० णित्थरह णिकिव २०६ णित्थरिए णिके णित्थरिजामो २०१ णिक्खमणपाओग्ग णित्थरियन्व णिक्खमणाभिसेएणं ३५० णित्थरिहिह णिक्खित्तसत्थमुसल २८ णिस्थाण ३३८ णिक्खिवति २४० णित्थारेजा २०२ णिक्खुडेंति १०६ णिदाण २३१ णिक्खेवओ ३६५, ३७० णिद्धण ३३८ णिगम णिप्पाण ३४६ ४८ ३०५ २६२ ३६१ ३४५ ९५, १४२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737