Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

Previous | Next

Page 664
________________ ३८ २४२ प्रथमं परिशिष्टम् विशिष्टशब्दाः पृष्ठाकाः । विशिष्टशब्दाः पृष्ठाकाः हावभाव १६७ हिरण ४६,४७, ११४, १३९, ३२४ हावभावविलासविब्बोयकलिए १६७, १६८ हिरण्णकोडी ४०, ४१, १८२, २९१ हाहाकयकण्णधार १९४ हिरण्णजुत्ति हिंगुलयनिगर १४ हिरण्णमासा १२१ हिंगुलुयसगम्भकंदरबिलं १५६ हिरण्णागरा ३२२, ३२४, ३२५ हिंडियाणि हिरन्नपागं २०४ ३८ हितसुहनिस्सेयसकर हिरि ३०४, ३१०, ३१३ १८३ हिरी ३६६ हिय ३४, १७४ हीण हियइच्छित २११, २४६ हीणतराए २११ हियइच्छिय ४९, ३४६ हीणपुण्णचाउद्दस २६२, ३१३ हियउड्डावण हीणपुन्नचाउद्दस ३०४,३१० हियय ११, ५०, ७४, ८१, १७९, हीलंति २७८ २८२, ३५६, ३५८, ३५९ हीलणिज १००, १०५, १२८, १३८, हिययउप्पाडण ३२९, ३४४ हिययगमणिज हीलिजमाणी १७२, २६२, २७८, ३६१ हिययडाह हीलेंति १७२, ३६१ हिययणंदिजणए हुयवह हिययणदिजणणे हुयासण हिययदइए २९४ हेऊ ११८ हिययदइओ २९० हेहा हिययदारए हेडिल्ल हिययरक्खग २०६ हेमंत ३३, ६०, ६५, १४५, १४६, हिययवल्हायणिज ११,१२ १८७, १९८ हिया २९९ हेरुयालेति १७२ हियाए ५६, २३३ । होयव्वं ३३२, ३३३ ะ 3 ७३ ३१६ १८५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737