Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 637
________________ ४७२ विशिष्टशब्दाः लोमहत्य लोय लोग पहाण लोयग्गपतिहाण वियागुतास लोयपजोयगर लोया लोहंकुसो लोहदंड लोहमा वेतियापरिगय लोहागरचम्ममाणघमघमें तघोस लोहितपाणी लोहिय लोहियाणि वइर वइरागर वइरोयणरन्नो यदि वइस्संति वंचण वंशा वंतासव वंदणवरकणगलस वंदनाए वंदणिज वंदति वंदविड वंदिता वंदिय वंस वक वक्खारपव्वत वक्खत्त वग्ग शाताधर्मकथाङ्गसूत्रान्तर्गत विशिष्टशब्द सूचिः विशिष्टशब्दाः Jain Education International पृष्ठाङ्काः ८२, २८७ ५६, ११३, १८७, २४४, ३५२, ३६० ११६ १३१ १४ ५ २२९ ३३२ ३१५ ४७ १९९ १०४ २९ ३२७ २३, २९, ५३, ३२४ ५२ ३२२, ३२४ ३५५ ३५५ २०२ ७९ ७८ ४६, २७८, ३४३, ३४७ ८ ३२९ ३५४ ५९ ३५२ १८ २९०, ३२९, ३३२ १५३ १४१, ३४८ ७९ ३५५, ३५६, ३६२-३६४, ३६७, ३६८ वगगण वग्गु वगुरापरिक्खित्ता वग्व वघाडी वारियपाणी वच्चंसी वच्छच्छाइए वच्छलया वजमाण वज्ररिसभणारायसंघयणे वज्झ वट्टए व वदुखड्ड वट्टमाण वडभि वडेंसा वडुकुमारी वड्डा वडियकुलवंतंतुकमि पृष्ठाङ्काः १५ १२, २६, २७, ५७, १५३, २४६, २७१ ३०२ ६७ १७२ १९० ३ ७७ १४३ ३४० १९० १६९ ३३४ ६६ ३८ ६५, ८३, १८४ ३७ वदवजालपति वणदव जलसंपत्ति वणदवजाला परद्ध मयूरी मयूरी अंडय वण वर्णत वणकरेणुवि विहदिष्णकयपसवघाओ वणदव वणयर वणयरय राई वणलय For Private & Personal Use Only ३६६ ३५८ ३५८ २११, २१२ १४७ ४५ ३३, ६०, ६५, ६८ ६०, ६३ ६५ ६३, ६६, ६८ ६३ ६० ६१ ९४, ९८ ९८, ९९, १०० ६०, ६३ ५८ ६० १७, ५२ www.jainelibrary.org

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