Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

Previous | Next

Page 653
________________ ૪૮૮ विशिष्टशब्दाः समोहति समोहणिता मोहति सम्मए सम्म सम्मजिय सम्मत्तपजव सम्मो सम्माण सम्माणणिज सम्माणित्ता सम्माणियदोहला सम्माणिया सम्माति समाचा सम्माहि सम्मुपाडेता सय संयंति सयंवरमंडव सयंवरा सयंवरा मंडव सयंवसा सयंसंबुद्ध सयण विह सयणिज सयणीयंसि सयति सयपत सयपाग सयमेव Jain Education International ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रान्तर्गत विशिष्टशब्द सूचिः विशिष्टशब्दाः पृष्ठाङ्काः २९ २९ १८३, १९९, २०३, ३०९ ४५ ५५, ६९, ७१, १९०, २१४, २३३, ३५३ १३८ २२५ ३५४ १६३ ३५४ १३७, २६७ ३४ १८ २७, २३७, ३१६, ३४० १३३, २६८, २६९, ३५९ २४५ १२२ १३२, १६३ ३२६, ३२७ २८४, २८९, २९० २८०, २८१, २८६ २८६, २८७ ३६१ ३७० ८०, ८३, ८७, ८९, १०६, १३६, १३७, २२७, २२९, २३३, २३४, २५३, २८५, ३५९ ३८ ९, ११, १३, १४, १४६, २४७, २६९, २७०, २७३, २९८ २६९ ३६१ २२६ १५, २७३ ७, ५६, ३५२ सयसहस्त सयस इस्समं सहस्वतिमं सय सहस्सा ति साहस्तिय रायसाहस्सी सया सयाइ सयातिं सर सरग सरगयं सरणं सरणदणं सरडविरइयविचित्तवेयच्छमा लियागं सरद सरपंतिय सरभ सरभवहियाइ सरमाण सरय सरयचंदो सरस सरसकुंकुम पृष्ठाङ्काः ४९, १८१, १८३ १६४ १५१, १७४ १८२ ३५, १०२, १०३ १८९ १८९, १९०, ८१, ८४, ८७, १९७, १९८, २४७, २५७, २६२, २९१ १६७ ८७ ६०, ६२, १७३, २४९ ३४६ ३८ सरसच्छवाडवलवण्णरइए सरसरत्तचंदणदद्दरपंचंगुलितल सरसरपंतिया सरसरस्स सरस्वती सरित्तय सरिनामया सरिव्वय सरसवहिय सरससुरभिगोसीस चंदणाणुलित्तगते For Private & Personal Use Only १५७ ३०९, ३१० १९८ ६०, ७९ १७, ५२ २०७ १५३ ६०, ७९, १९७, २२५ ३०९ सरसरुहिरगयचम्मविततऊसवियबा हुजुयलं १५७ २०८ १५ ३६६ ४०, ४६, ५३, १४८ ३६४ ४०, ४६, ५३, १४८ २०७ ३३, ६० ३० ९, ५१, ६३ २१ ८ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737