Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 646
________________ विशिष्टशब्दाः संघाइम संघाड संघाडि बद्धियाए संघाडेह संघातिम संचाए संचाए संचाएंति संचारमो संचारैति संचालिजमाणी संचित संचयिक कूवरा माणी संछन्न संछन्नपत्त संछन्नपतपुप्फपलासे संभमाणी छूटा संजतए संजत्तग संजत्ताणावावाणियगा संचरणावरणिओवयणुप्पयणिलेसणीसु संजत्तावाणियगा संजम ६, प्रथमं परिशिष्टम पृष्ठाङ्काः ३२५, ३२७ २४१, २७४ २७५ १६५ Jain Education International २२७ २९३ १११ २०९, ३४३, ३४४ ४८, १०५, २३२ ३४५ ३२४ १९१, ३२१ ३५२ १९४ ९४ ७७ २२६ १०३ १५४ ३२२, ३२५ ३२५ १६१, १६२, ३२५ १५२, १५५, ३२१, ३२२, ३२४, ३२८ ३२४, ३२५ ४, ५, ५६, ७०, ९१, १०८, २४१, ३१८, ३५५, ३५६ ४७ संजमभयउब्वेयका रियाहिं संनममातिए ११९ संमितव्व ५६ संजातभय ६१, ६३, १०४, २००, २४६ संजायको उल्ले ५ २०७ संजाय उणराए संजायभया १५७, २०१, ३२२ संजायसंस ५ संजायस संजुत्ते ५ २४४, ३३९ विशिष्टशब्दाः संजोएयन्व संजोग संजोतिम संझन्भरागवण संभरागस रिसे संझा कालसमय संडासगं संत संतियं संतु संथव संथार संथारग संथारय दमाणी गया संदिसउ सं दिसंतु संदि सह सं दिसाहि संधारिए संधारित संधि संधिच्छेय संधिच्छेयगाण धु संनिहिपारे संन्निन्नो संपउत्त संपत्त संपदा हेला संपत्थिया For Private & Personal Use Only ૪૮૨ पृष्ठाङ्काः १४७ २३७, २६७ ५२ ६३ ४५ १०४ १७७, २१९ १६९, १७० १५,५४, १०५, १०६, १५९, २०९, २१९, २२१, २३२, ३१४, ३४३, ३४४ ३५२ २२७, २२९, २८५ २९४ १२६, १२७, १२८ १२५, १२७, १२८ ११९ १०९ ३०० ९७, २३७, ३१६ ५०, ५४ ३० ६८ ६९ १६५, १६६ ७९ ३३८ ३४६ १४९ २२७ ४१ ६, ३६, ४२, ७४, ९२, १३०, १३२,१५८,१९१,२१५, २३४, २६०, २८८, ३१४, ३३३, ३५४-३५६, ३६२, ३६४, ३७० ३३ ५४, १८५ www.jainelibrary.org

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