Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 638
________________ विशिष्टशब्दाः वणसंड वणीमग वण्ण वण्णओ वतिपरिक्खित्त वतिस्ससि वत्तिया वस्थ फरसंजुत उ वह पुंगव वही प्रथमं परिशिष्टम् पृष्ठाङ्काः ३३, ६०, १९५, १९७, १९८, १९९, २००, २०१, २०२, २०३, २२६, २२७, २२८, २२९, २३२, २३३ २२७, २४१ वरथारुहण वत्थकम्म १९०, २११, २१२, २१५, २१६, २१८, २१९ १, २, ३, ७, ७७, ९४, १०३, १०४, १०७, १०८, ११४, १४६, १६७, २४५, २५१, २७९, २९१, २९५, ३१०, ३२१, ३३४, ३५५, ३५७ वत्थं तेण वत्थगंध मल्लालंकार वत्थविहि वत्थव्वा Jain Education International २७५ १९६ १३५ ५०, ८०, ८१, ८२, ८३, ९२, ९५, ९८, ११६, १३३, १३४, १३९, १६१, १७१, १८०, १८३, २३७, २३८, २६९, २८५, २८७, २९१, २९२, ३५८, ३५९ १५८ थुपाढरोसि वत्थुपाढयरोसि वत्थु विजं बद्दलियाभ वद्धमाणग वद्धमाणसामी २२ ९२, ३४३, ३४७ २९० १८३ २० ३८ २५२ ८२ २३१ २२५ २२६ ३८ ४८ ५४ ३५८ विशिष्टशब्दाः बद्धावे वृद्धावेंति वृद्धावेत वृद्धावेत्ता द्धाह वधनिमित्त वन्न वन्नारहण वमण वम्मियकवया वयंतं वयंता वयण वयणकमल वयणमिणं वयणसंदेस वयणात वर वरकणग कमलको मलंगी वरगवज्जिया वरण वरतरुणी वरपायपत्तणेउर वरपुप्फजाति वरपुर सगंध हत्थी वरमासरासि वरवरिया वरहिणे ३४, ३९, २.५, २०७, ३३१, ३३२ वरपायपत्तणेउरमणिमेहलहाररइयऊचियकडगखड्डय विचित्तवरवलयर्थभियभुयाओ वराह वरिस वरिधरं वरिसारत ४७३ पृष्ठाङ्काः १६९ १६६, २८२, ३०२, ३२८ २७, १७२ १६९, २८७, ३०४ २८० २०५ २५३ ८२ For Private & Personal Use Only २३१ ८६ २४५ ३०७ २०७ २०५, ३०५, ३३१, ३३२ २०० १७४ ९७, ३०९ १७ १४७ ३५८ ६२ ५३ ३२, २८८ २२ ८ २९० १५५ 9.9552 १८३ २१ ५९ ७५ १६४ ६०, ६५ www.jainelibrary.org

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