Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 609
________________ शाताधर्मकथाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः विशिष्टशब्दाः पृष्ठाकाः । विशिष्टशब्दाः पृष्ठाङ्काः पणिए १०२ पत्तियह २२१ पणिय २५१ पत्तिया १३५, २१३, २२७, २५३ पणियभंडमाया २०१, २५१ पत्तियामि ___४३, १६०, २२२ पणियसाला ७९ पत्तेय ११२, १७४, १८३, २८४, पणिवइयवच्छला २८५, २८६, २९१ पणिहाय २११ पत्थं पणीय . ३५३ पत्थयण २५२ पणुवीस १९. पत्थयति २०८ पणोलिजमाण ६७ पत्थिए २७, ३७, १३३, १३४, १३५, पण्णगभूय ३५३ २१८, २२१, २२५, २३२, पण्णष्टि १८९ २३३, २३४, २३८, २४१, पण्णत्त ६, १०३, १४०, १४१, १७१, २४३, २४५, २४९, २५१, २१०, २१२, २१३, २१५, २५९, २९५, ३११ २२३, २२४, २३५, २३६, पदमग्गविहि ३४३ २५५, २७९, २९४, ३५५, पदेस १९५ ३५६, ३६७, ३६८ पधारेति १८३ पण्णवणा ४७, ४८, ११०, १९२, ३४९ पधारेत्थ १०४ पण्णवित्तर ४७, १९२ पन्नगभूत २५९ पण्णवेति २३०, २३२ पत्रचा पण्णवेमाण ११५, २१७, २२०, २२१ पन्नरसम २५१, २५५, २५६ पण्णवेमाणी १७० पप्पुया १५३ पण्णासाए पप्फुल्लकेसरोवचिया २२६ पतिवया २६९, २७० १०५, १०६ पतिहवका पन्भार ६०, १०० पतिभए ७८ पभकरा ३६७, ३६८ पत्त ३३, ६४, ६५, १६१, १६७, पभात १४, २११ १९७, २३२, २३७, २५३, पभावणया २५४, २६७, २७१, ३५७ पभावती १४६, १४७, १५१, १६४, पत्चइए १६६, १६७, १७०, १७३, पत्तइया १८७, १८९ पत्तच्छेज पभिती ९०, २१६, २१८, २२५, २४६ पत्तहा ३१३ पत्तसगडिया ७३ पमइलदुब्बला पत्तसमय २०१, २०२ पमजति पत्तहारा २२८ पमत्त ८४, १२६, १२८ पत्तियति २७५ पमत्तविहारी पत्तियमाणा २५४ पमदवण १६७ २५३ ३६८ पबाह १४३ पभू १२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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