Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 631
________________ मुयति मुंड मुरुंडि मुसुमूरेति शाताधर्मकथाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः विशिष्टशब्दाः पृष्टाङ्काः । विशिष्टशब्दाः पृष्ठाका १७०, १७१, १७२, १७३' मुद्दियापिंगलंगुली १७४, १७५, १७६, १७७, मुद्ध २८८, ३५६ १८०, १८१, १८२, १८३, मुद्धयाई १८४, १८६ मुद्धसूल २३. मिहुणसंविचिण्ण १०७ मुम्मुर २६८ मिहोकहासमुल्लाव ९४, ९५, १४२ मुयंत २१, २२, १४६, १४९, २८९ १५२, १९१, २५६ २४७, २४८ मुइंगमत्थएहिं मुरया १३६ ४५, ५५, ५७, ५८, ६९, ९१, १११, ११२, १२२, १२३, मुसलप्पहार ६२ १८०, १८४, १८८, २२२, मुसावाय ७४, ११६ २४३, २४९, २५०, २७८, ३१७, ३४९, ३५९-३६१ मुह १०, ५०, ३६१ मुंडणाणि मुहधोवणिय २७० मुंडाविय मुहपोत्तिय २५९ मुक्के २४८ मुहबंधेहिं ३२९ मुखं २७६ मुहमक्कडिया १७२ मुच्चंति ४३ मुहवायपूरिय ३०८,३११,३१२ मुच्चिहिंति ३७० मुहवायाइद्धे मुच्चिहिति २६१, ३६२ मुहुत्तं ३८, ४०, ५८, १०८, १५२, मुच्छावसणचेयसि ४४ १५३, २३८ मुच्छि १२६ मुहुततर ८५, ८९, १९५, १९९, २५९, मुच्छिए २३२, २९६, ३५०, ३५१ २६९, २७०, २९७, २९८, मुच्छित ३१४, ३२२ मुच्छिया १७७,३२८ मुहुत्तमेत १५३, २६८, २६९ मुज्झति ३२९ ३४१ मुज्झह १७८ मूढदिसाए मुडिजुद्धं ३८ मूढदिसाभाए ३२१ मुणाल २२६ २३२, २४२, २५३, २५४ मुणिसुन्वते ३१०.३१२ मूलभोयणे मूसग १५४ मूसियादारग २३६ मुत्तावलिसन्निगासपवडंतअंसुधारा मूसियारदारए २३६, २३७ मुत्ति ३, २११ मेइणि १५३ मुत्तिमग्ग ४७ मेइणितल ६१ मुद्दय १२५ मेवघणसन्निगास ७५, १२२ मुद्दाहिए मेघोघरसिय १०९ २३८ मूइयाहिं ४८ मुत्तावलि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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