Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 633
________________ ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः विशिष्टशब्दाः पृष्ठाङ्काः । विशिष्टशब्दाः पृष्ठाकाः रत्चासोगपगास रयतगिरिपन्भार रतिं . ५७, ७१, ७२, १०४ रययामय रन्नो १४९, १७४, १८१, २२६, रययामयघंटसुत्तरज्जुयवरकंचण २४५, २४८, २५०, ३०१, ३०३ खचियणस्थपग्गहोवग्गहितरमण २०६ निलुप्पलकयामेलएहिं रमणिज रयरेणुगुंडण रममाणी रयहरण ४९, ५०, ५३ रमियाणि २०४ रयावेंति रम्म ७७, १०७, २९४ १५३, १७५, १८३, २४३, २८३, रयण २९, ४५, ३०९, ३२४, ३४६ २८६, ३५९ रयणकरंडग - रस ८०, १०८, ३२६-३२८, ३३३ रयणकरंडिय १०९,१३२, १४०, १५०, १७५, रयणकूडसन्नि १७७, २३४, २८१, २८४, रयणघंटिया २०५ २८६, २८९, ३०३, ३०६रयणदीव ३११, ३१३, ३१५ रयणदीवदेवता १९७, २०० रहजोही रयणदीवदेवया १९९, २०१, २०२, २०३ रहमद्दण २०४, २०७, २०८ रहस्स रयणदीवदेवया अप्पाहणं २०९ रहस्सिययं २३९, २४० रयणदीवदेवयाउवसम्म २०९ रहस्सीकरेसि रयणदीव देवयागेण्हणं २०९ रहाणीएणं रयणदीवुत्तार २०९ राइंदिय ६८,६९, ८४ रयणद्दीवदेव १९६ राइभोयण ११६ रयणद्दीवदेवया १९५ राइसहस्स २८७ रयणप्पमा २६३ राई ३५६, ३६३ रयणभूत गईण . १७४, १७५. १७७, १७९ रयणभूसियंगी २२ राईसर १६, १५०, १७०, १७२, रयणसमुग्गय १७३, २४२, २४६, २८० रयणसार राईसिरी ३६३ रयणसिरी राओ ७३, ७४ रयणागर २०६, ३२२, ३२४ रागदोसमल्ल रयणावलि रागमोहियमई २०७ १४,५७,५८, ७३, ८०, १४६, रातिदिय १२, १४६, २१९ २३९, ३५६, ३६१, ३६३ रातीसर १७२ रयणुक्कड राम २९४ रयणुच्चय रामरक्खिया रयणुत्तमाओ २९ । रामा ३६९ २६ २३ रयणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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