Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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३८
पुवामेव
प्रथमं परिशिष्टम् विशिष्टशब्दाः पृष्ठाकाः । विशिष्टशब्दाः
पृष्ठाङ्काः २१४, २१९, २२१, २२७, पुव्वरत्तावरत्तकालसमय १०,५७, ५८, ६९, २२८, २३७, २४५, २५४,
७३, ७४,८०, १३२, १३६, २५५, २८१, २९७
२३८,२४१, २४३, २५१ पुरिसकारपरक्कम ७३, १६० पुव्वविदेह
३४८ पुरिसजुग
१९० पुव्ववेर पुरिसलक्खण
पुव्वसंगतिय
२८, २९, ३१, ३३, २९६, पुरिसवगुरापरिक्खित्ता
१०९
२९७, २९८, ३०२, ३११ पुरिससएहिं १८८, १९४ पुव्वसयसहस्साति
१४५ पुरिससहस्स ११२, ११३ पुवाति
२४९ पुरिससहस्समंतिय
पुवाणुपुवि ४, ४१, ७३, ९१, १०८, पुरिससहस्सवाहिणी ५२, ५४, ५५, ११२,
१२४, १२५, २४१, ३१९, १२३, १४२, १८०, ३१८,
३५२, ३५५ ३५९ पुवाधीत
२५० पुरिससहस्सवाहिणीय १८९, २४३, २६८
२७७, ३६१ पुरिससीहेणं
३७० पुवावरण्हकालसमय ५७, ९५, ९८ पुरिसादाणीय
३५८-३६० पुदि ४५, १८५, २३४, २४१, २४३, पुरिसोत्तमेणं
२७८, ३५४ पुरेवाया २१३, २१४ पुव्वुद्दिट्ट
२५० पुस्समाणव
१५३, १५४ पुलिंदि
पूइत
१५३ पुन्व ४६,७४,२५०,३१८,३२०, ३४८ पूइय
१८ पुश्वकम्म ३०१ पूतिय
१९७ पुवकयणियाण २९०
१५७ पुन्वगए २६१ पूयणिज
३५४ पुव्वगमेणं
३१ पूयपडलपोचडे
२१५ पुव्वगहिय . ३१९, ३२० पूरण
१४१ पुन्वजाति २३३
२०५ पुव्वणस्थ २२७ पूरिम
५२, २२७ पुव्वण्हकालसमय
१८७ पूस पुव्वदक्षिण
पेच्छए पुन्वन्नत्थ
१८
पेच्छंताभिन्नणहमुहनयणकण्णवरपुज्वपडिवन्नाति २३३ वग्पचित्तकत्तीणियंसणं
१५७ पुग्धपविद्या
पेच्छमाणी
३३, २२७, २२९ पुबभव ३६३-३६९ पेच्छिउँ
२०७ पुत्वभवजणियनेहपीतिबहुमाणजाय.
पेच्छिहिह सोग
२९ पुन्वरत्तावरत्त
१४६, ३५३ । पेणाइयविरसरडियसद्दे
पुलग
प्रय
पूरयंति
१५३ ३०८
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