Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 619
________________ १७ ९० २३४ ४५४ शाताधर्मकथाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः विशिष्टशब्दाः पृष्ठाकाः । विशिष्टशब्दाः पृष्ठाकाः पेरंतदेसभाग पोयवहणपाउग्गाणं ३२६ पेस २४६, २४८ पोयवहणविवत्ती २०१ पेसणकारी ४०, ४१, १३८, २९१ पोरपाणग ३२७ पेसुन्न - ७४ पोराण २७४, पेस्स पोरिसीए २४१, ३१९, पोए पोरुसीए पोंडरिगिणी २४९, ३५०, ३५२ पोरेकव्वं पोंडरीय ३४९, ३५२ पोलंडेंति पोक्खर ७९ पोल्लरुक्ख पोक्खरगय पोससुद्ध पोक्खरणी ९०, १९५, २२५, २२८ पोसह २२५ पोक्खरिणी २०२, २२६, २२९, २३२, पोसहसाला २८, २९, ३३, २२५, २९६, ३०२ पोस्खलावतीविजय २४९ पोसहिय २८, २९ पोमाल २९, १७८, २१७, २१८ पोसहोववासातिं १५८ पोच्चड फंदेइ(ति) ९९, १०४ पोट्ट फगुणसुद्ध पोट्टिलदेव २४५ फरिस ८०,१०८, ३२६-३२९ पोट्टिला २३६, २३७, २३८, २३९, फरिहोदए २१५, २१८, २१९, २२०, २४०, २४१, २४२, २४३, २२१ २४४, २४८, २४९, २७४ फरिहोदग पोट्टिलारूव २४८ फक्स पोतहाण १५३ ३३, १९५, २३२, २५३, पोतपट्टण ३२४ २५४ पोतवहण १५२, १५८, १६२, २०१,, फलएहिं ३४०, ३४१ २०९, ३२८ फलग ११९, १२५, १२६, १२७ १२८ पोतवहणपाउग्गाण १५२ फलगखंड १९५, २०१ पोतवहणविवत्ति १९५ फलभोयण ४८ पोतवहणसंपराय फलवित्तिविसेस ११, २७६ पोती फलहंतरतडतडेंतफुटुंतसंधिवियलंपोत्तुल्लए ३३४ तलोहखीलिया १९४ पोत्थकम्म २२७, ३२५ फलहखंडआसातणं २०९ पोय • १६१, १६२ फलाति १९५ पोयहाण १६१, १६२, ३२६ फलिया २१३, २५३ पोयपट्टण १५२, १६२, ३२८ फलिहाणं पोयवहण १५८,१५९, १६२, १९१, फालसरिसजीह १५५ १९५,३२१, ३२२, ३२४, ३२६ । फालियवण्णाभ २१९ २१७ १९५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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