Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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प्रथमं परिशिष्टम्
४६३
महं
१८८
१९४
विशिष्टशब्दाः पृष्ठाकाः । विशिष्टशब्दाः
पृष्ठाङ्काः - १७२, १७३, १७४, १७६,
१६३, १७५, २०१, २३६, १७७, १७९, १८०, १८२,
२४४, २७२, २८२, २८६, १८३, १८४, १८५, १८६,
२९९, ३०९, ३१३, ३४९ १८७, १८८, १८९, १९० महयामडचडकर
२८४ मसारगल्ल २९ महयाभडचडगर
२३४, २८६ मसि
१५४ मयाभडचडगरआसवाहणियाए २१७ मसिमहिसमूसाकालए
मयाभडचडगरवंदपरियालसंपरिवुड ४२ मसूगण
३२६ महयाहयनगीयवाइय १८३, ३५६ महइ २५० महयाहिमवंतमलय
२४५ ७७,१०४,११६, १४६, १५४, महरिह ४९, ५०, ८०, ८२, १४९, १५५,१९४,१९९,२२७,३४१,
१६१, १६९, २०१, २०२, २७२, २८४, ३०९, १४६
२५५, ३२४, ३४२ महंततुंबयइयपुन्नकन्न
महन्वय ७३, ७४, ७६, १०२, ११६, महग्ध ४९, ११०, १४९, १६१,
१३८, १३९, २५० १६९,२५५, ३२४, ३४२ महसेण महग्धवरपट्टणुग्गयं
महसेणपामोक्ख
२८०, २८२ महज्जुइया
३५७ महाकंतारविणिग्गयपरिस्सता महज्जुई ૨૨૪ महाकच्छा
३६६ महता २३०, २७२, ३४० महाकालादीणं
३६७ महतामडचडगरपहकर ३०२ महागरुलवेगवित्तासिया
१९४ महतामडचडगरवंदपरिक्खित्ता.
महाघोस
३६६ महताहिमवंत ७, २९५, ३१० महाजणरसियसद्दवित्तत्था
१९४ महति
महाजणसद्द
३४९ महतिमहालय
३६, ६४ महाणदी ६३, ३१३-३१५, ३४८ महतिमहालिया ___४३, १८९, २४७,
महाणसेसि
२४१,२७४ महाणससाला
१८२, २२७ महत्थ ४९,८५, ११०, १२४, १६१, महाणसिणिं
१३८ १६२,१६६,१६९, १८४, २२५, महाणुभाग
१४४, २२४, ३५७ २५५, ३२४, ३४२, ३५२ महाणुभाव
७२ महद्दह
६२ महानदी
४७,६४, ६५, १०३, महबल १४१, १४२, २२४, ३४९,
१४१, २८४ महापउम
२४९, ३४८ महम्बलपामोक्ख १४२, १४३, १४४, महापह
२३, ८६, २९९ १७८, १७९ महापहपहेसु
३३ महबलवजा
महापुंडरीय
.२२६ महया ४३, ८५, ८६, ८७, ९८, ११२, महापुरवरी
१४२, १५०, १५३, १५९, । महाबल
१४२, १४५
१९४ १४७
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