Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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पुष्क
१५०
४५२
शाताधर्मकथाङ्गसूत्रान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः विशिष्टशब्दाः
पृष्ठाकाः । विशिष्टशब्दाः पुंजे
३२७ पुत्तसोएणाभिभूत पुंडरिगिणी ३४८, ३५१ पुत्तागुपुत्तिय
३५ पुंडरीय ६,१२२, १२४, १२९, २२६, पुन्ना
३६६ ३४८, ३४९, ३५१, ३५४ पुन्नाग
१४६ पुक्कारेमाणे ३४३ पुन्नुच्छंग
१५४ पुक्खरिणी ६०,८१, ८२, ८३, ९०, ९६,
३३, ८०, ८१, ८२, ८३, ९२, ९७, १५०, २३३
९५, ९८, १३३, १८०, २३२, पुक्खलावती
३४८
२३७, २३८, ९५३, २६९, पुन्छणा ५७, ५८
२८५, २९२, ३५९ पुच्छियहा
१८ पुप्फ-गंध-मल्लालंकार पुटवाय
२३२ पुप्फचूला
३६०, ३६१, ३६९ ९४, ९८ पुप्फच्चणियं
८०, २०१, २०२ पुढवि
१२२, २६३, ३५३ पुप्फपडलगहत्थगय पुढविसिलं
पुप्फपूरयं
२७६ पुढविसिलापट्टय ७३, ७४, १८८, १९५, पुप्फफलपडिपुण्णहत्थ
१८ २५०, ३५१, ३५२ पुप्फबलिकम्म पुणरवि ६२,१५३, १९१, २०८, २१०,
पुप्फमंडव
१४९, १५०, १६३, १६४ २४२, ३४८ पुप्फवती
३६६ पुफिया
२१३, २२७, २५३ पुण्ण
पुप्फुत्तरा पुण्णभद्द २, ४, १९१, २१५, २५१, पुप्फोदग
१५ ३१०, ३६६ पुरओ १३८, १८५, २०६, २४६ पुण्णमुहि
१५४ पुरतो ११२, १३३, १३४, १३७, पुण्णिमाचंद २११, २१२
१४०, १७०, १७१, २४३, ७,५५, ५७,८५,१०८,११०,
२४६, २४८, ३०९, ३६० १३२, १३३, १३४, १३७, पुरत्थाभिमुह १६, २६, ३५, ५३, ७४, १३९, १६७, १६८, १६९,
१६४, १८४, १८५, २०१, १७६, १९१, २०९, २३८,
२५९, २९५, ३५७ २४०, २४४, २४५, २४८, पुरस्थिम
५३, १४१, ३४८ २६५, २७१, २७४, २८०, पुरथिमद्ध
३१० २९५,३००,३१३,३१५-३१७, पुरस्थिमद्धदाहिणद्धभारह
२९५ ३३४,३४०,३४१, ३४३-३४६, पुरस्थिमवेयाली
३०२ ३४८ पुरथिमिल्ल १७३, १९७, २००, २०२, पुत्तघायग ८८, ८९, ९१
२०३, २२७,२२९,२३२,३४१ पुत्तदुक्ख पुत्तमारग
१५, ११६, १३०, १७१, पुत्चलाभ
१२, १९ ।
१९४, २००, २०१, २१३,
३२६
पुरा
८८
पुरिस
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