Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 614
________________ विशिष्टशब्दाः पाउकामे पाउणइ पाउणति पाउणित्ता २११ पाउणेत्ता पाउपभाए पाउप्पभा पाउप्पभाताए पाउप्पभायाए १४ पाउन्भवति पाउन्भवमाण पाउन्भवह पाउन्भवामो पाउभविस्था पाउन्भूत २० प्रथम परिशिष्टम् ४४९ पृष्ठाङ्काः विशिष्टशब्दाः पृष्ठाङ्काः ३४१ पाडलसिरीससलिल १९८ २४४ पाडिएक्क २७८ २७९, ३६२ पाडिक्कयं ७५, १२२, १२९, १४५, पाडिवय २११ १९०, २५०, २६१, ३२० पाडिवयाचंद पाडिहारिय ११९ २८७ पाण ___५६, ७०, ७५, ८०, ८१, १७७ १२६, १२७, २१, २२०, २५७, २५८, २५९, २७२ ५७, ५८, ७३, ७४, ८०, पाणएणं १२७ २२५, २७३, ३६१ पाणगाण ३२७ २२३ पाणघरएसु ११२ पाणनिरोह ८७ १८० पाणभोयण १२५, ३५३ ११८ पाणविहि पाणाइवाय ४,५६, ६९, ८३, ८८, पाणागार १०६, ११३, १२५, १४२, पाणाणुकंपणया १४६, १७४, २०९, २३०, पाणाणुकंपा २५९, २९७, ३५३, ३५५ पाणातिवातवेरमण ६२, ११२, १६१, १८४, पाणातिवाय ७४, ७५, ११६, १३०, १८८, १८९, २४९, २६३, २३४, २६०, ३५४ २७०, २७३, ३०१ पाणि ४०, १०८, १४१, २६८ १९२ पाणिग्गहण ___२३८, २९१ ३५६ पाणिपाय १०८ २२, ६०, १९७ पाणिफासं २६८ १९७ पाणिय ६२, २२५, २२८, २२९, ३१, ३२, ३४ २३२, २३३, ३२४, ३२६ ६८, ६९, २७६ पाणियघरएसु ३३६ ६४, ६७, १७३ पाणियपरियं २२०, २२१ ३२८, ३६१ पाणियपाए १३८ पाणीयपाए १२२, १९० पाणण ७४, ७५ पातरासो १८२ पाद १०४, १०६ ४८ पाददद्दरयं ३०९ १४६, २८९ ३०३ पाउम्भूय पाउन्भूयाति पाउयाओ पाउस पाउसउदू पाउससिरी पाए पाएण पाए पाओदयदाईय पाओवगमण पाओवगय पागट्ठी पागयजण पाडल ६२ पादपीढ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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