Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 604
________________ ७९ ८६, ८७ ३६, ४४ १९६ प्रथमं परिशिष्टम् ४३९ विशिष्टशब्दाः पृष्ठाकाः । विशिष्टशब्दाः पृष्ठाङ्क: निलुप्पल १९८ निसुभा ३६४ निलुप्पलनियर २१ निस्संकित १००, १०२ निल्लज्ज २०६ निस्संचार १७६ निल्लालियजमलजुयलजीई १५४ निस्संसतिए ७८ निवइय १३४, १३६ निस्संसा २०८ निवट्टण निस्ससिय २०७ निवाएमाणा निह? ३५६ निवारित्तए १११ निहणाहि निवारेंति ३६१ नील . २१, ३२७ निविन नीलकंठ १०१ निवेसित्ता . २७४ नीलवंत ३४८ निव्वण ९४ नीलासोए ११४, ११७, ११८ निव्वत्त नीलासोय १२२ निबत्तबारसाहिया २७९ नीलुप्पल १०८, २४७, २४८, ३४३ निब्बत्तिए १७० नीलुप्पलगवलअयसिप्पगासेण २०८ निव्वत्तियनामधेज नीलुप्पलगवलगुलिय निव्वत्तेसु १४२ नीलुप्पलावलगुलियअयसिकुसुमप्पगास निव्वत्तेह १६९ नीलुप्पलदलगवल २०३ निव्वाणमग्ग ४७ नीव २१ निन्वायनिव्वाघायंसि २६५, २७९ नीहरण ८७,२४० निविण्णा १०५, १०६, २०९ नेयन्वं २६३ निन्वितिगिच्छे नेरइयचाए ९१, ३५३ निवित्ति १४३ २६३ निविसय १६५, १६६, १६९, १७० नेरईयत्ताए २६३ निसंतपडिनिसंत १७७, ३४१ नेहक्खय २५७ निसढ नेहावगाढ २५७, २५८, २५९ निसण्णा नोविलप्पड निसम्म ११, १६८, १७४, १९६ पह २३० २०२, २३०, २४२, २६२, पइट्टगंधुडुयाभिराम २७१, २७२, २८२, २८४ पइत्ता ३४६ निसामित्तए २४२ पइवय २७१ निसामेत्तए २२१ पईव २९४ निसिरति २९, २५९ पउंजति २९, २०३ निसिरामि २५९ पउंजामि १६० निसीयइ २९६ पउत्ति ८५, २०३, २९८, ३०२ निसीयंति पउम। ९, ५५, १७७, १९८, निसीहियं २२६, २९८, ३६८ नेरईएसु ३५७ २७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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