Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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४३८
शताधर्मकथाङ्गसूत्रान्तर्गत विशिष्टशब्दसूचिः विशिष्टशब्दाः पृष्ठाङ्का, । विशिष्टशन्दाः
पृष्ठाकाः निग्गम
१८५ निन्भय ६०,१०३, १६६, ३२४ निग्गयग्गदंत
१५४ निमीलित्त निग्गया ४, ९१, १०८, ११५, १२३, निमेति
३५६ १२५,१३०,१४१,१४२,२२४, निम्मंस
२३३, २५७, ३५५, ३५६ निम्मलवखारिधारापगलियपयंडनिग्गह
मारुयसमाहयसमोत्थरंतउवरिनिग्घोसणादितरव
उवरितुरियवास निच्च
नियए
६४, २७६ निच्चच्छणय
१०७ नियंसेंति निच्चल ८५, १०४, १०५, १५९ नियग ७८, ८३, ८७, ८९, १०६, निच्चेट्ट ८५, ८६, २६०
१३४, १३६, १५३ निच्छय
१३२ नियगघर
१९१ निच्छियववसिय ४८ नियगपट्टा
२०८ निच्छुभंति
१७२ नियगररियालसंपरिवुडा निच्छूढा
१७५, १७६, २६२ नियगवयणं निच्छोडेति
. ३३४, ३३५ नियघर निजुद्ध
नियडि निजाणमग्ग
नियस्था निजायमाण २१७ नियम
३, २७६ निजीव
नियय
३०८ निज्मर
निरइयार
१४३ निटिए
निरंभा
३६४ निडाल
१६५ निरणुकंपा नित्यारिए
निरणुक्कोस निद्द
२२९ निरणुताव निद्धमहुरगंभीरपडिसुएणं
निरवसेस निद्धयाए
२११ निरस्साए निद्धाति
२०० निराणंदा निद्धावति ३३१ निरालंबण
१९१ निद्धाहि १५३ निरावयक्ख
४५, २०८ निप्पटासिणवागरण ११८ निरिक्खमाणा
१५३ निप्पाण ८५, ८६, २६० निरुवसग्ग
१६१ निष्फंद ८५, १०४, १०५, १५९ निरुवहए(य)
९४, ११९, १३० निप्फन्नसस्समेइणीय
निरुवहयसरीरपत्तलद्धपंचिंदिय ६९ निबद्धाउत
२३२ निरुन्विग्ग ६०, १०३, १६६, ३२४ निब्बुड्डभंडसार २०१ निरूह
२३१ निब्भच्छेति ३३४ । निलय
२६२
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