Book Title: Acharangabhasyam
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 513
________________ परिशिष्ट ३ : विशेष शब्दार्थ २१४१ ५११८ ४.४१ भोजन अरई-इष्ट की अप्राप्ति और इष्ट के विनाश से होने वाला मानसिक भाव ३।६१ अवसक्केज्जादूर रहे २१११७ अविज्जा-अज्ञान अविमण -प्रसन्न मन वाला असंदीण-आश्वास द्वीप ६।७२ असमणुण्ण-अन्यतीर्थिक ८१ असरण-अस्मरण ९।१।१० असिय-तत्त्वज्ञान रहित ५।९४ अहाकड-मुनि के लिए बनाया हुआ आधाकर्मी आदि ९।१।१८ अहासच्च-यथार्थ ४१५ अहिण्णायवंसण क्षायिक सम्यग्दर्शन, सत्य-दर्शन ९.११११ अहियासमाण--सहता हुआ २।१६१ अहिरिमण-अलज्जाकारी ६।४५ अहेसणिज्ज-अपनी-अपनी कल्प-मर्यादा के अनुसार ग्रहणीय ८१४४ अहोववाइय-अधोलोक में होने वाले ४११७ अहोविहार-संयम २।१० आउट्ट-निवर्तन करना २।२७ आउट्टिकय-अविधिपूर्वक कृत श७३ आएस-आतिथ्य, यज्ञ २०१०४ आगंतार-यात्रीगृह ९।२।३ आगतिगति-संसार-भ्रमण ३१५८ आगम-आज्ञा, चिन्तन आगयपण्णाण-लब्धप्रज्ञ आघाय-आख्यापिका ९।११९ आढायमाण-आदर प्रदर्शित करता हुआ ८.१ आणंद-इष्ट की प्राप्ति से होने वाला मानसिक भाव ३६१ आणक्खेस्सामि (दे)-लाऊंगा ८७७ आणा-सूक्ष्मतत्त्वावबोध, अतीन्द्रियबोध २९७ • आत्मभाव, आत्मज्ञान, अर्हत् उपदेश २।२९ • श्रुत ४|४५ ० सूत्र का आदेश ६१७८ आणगामिय-भविष्य में साथ देने वाला ८.६१ आतीतट्ठ-कृतार्थ ८।१०७ आमगंध - भोजन की आसक्ति २।१०८ आयंक-शारीरिक-मानसिक दुःख १२१४६ __ • शीघ्रघाती रोग ५२८ आयंकदंसि-हिंसा में आतंक देखने वाला ३३३३ आयतचरख-संयतचक्षु, अनिमेषदृष्टिवाला २११३५ आयतजोग - मन,वचन और काया की संयत प्रवृत्ति ९।४।१६ आयतण-भोगसामग्री २।९१ आयततर-महत्तर पा८.१९ आयबल-शारीरिकबल आयाण-कषाय ३१७३ ० वस्त्र ६।३५ ० इन्द्रियां, परिग्रह ९।१।१६ आयाण-जानो ६।२४ आयाणसोय---इन्द्रिय-विषय आयाणिज्ज-अपरिग्रह २१७२ ० अनुकरणीय, ग्रहणीय ४१४४ ० वस्त्र, कर्म आयाणीय-संयम १।२४ आयारगोयर-आचार-व्यवहार आरंभ-हिसाजनित प्रवृत्ति ३।१३ ० अज्ञान, कषाय, नो-कषाय, असंयम ५१९० • वैयावृत्य-स्वाध्याय आदि करना, प्रवृत्ति ८।८।२ आरंभजीवि-हिंसाजीवी ३।३० आराम-आत्म-रमण ५।११७ आरामागार-आरामगृह ९।२।३ आरिय-आचार्य २।४७ ० तीर्थंकर २।११९ • अहिंसाधर्मविद् ४।२२ आलीण-इन्द्रिय-संवत आलुंप-चोर या लुटेरा २१३ आवकह-यावज्जीवन । ९।४।१६ आवकहा-जीवनपर्यन्त ९।१२२ आवट्ट संसार ११९३ • मन की चंचलता, मन का भ्रमण ३१६ ० आवर्त, चक्राकार गति ५।१८ आवीलए-साधना की पहली भूमिका ४।४० आवेसण-शिल्पशाला ९।२२ आस भोगाभिलाषा २।८६ आसंसा-अभिलाषा २१४५ आसव-आश्रव, कर्माकर्षक आत्म-परिणाम ४।१२ .पीडा, छिद्र काम।१० आसवसक्कि आस्रवों में आसक्त ५।१७ आसायणा-बाधा, परिहानि ६।१०४ आसुपण्ण-सर्वज्ञ आहंसु-बुलाया ९।३।४ इच्छाकाम-स्वर्ण आदि पदार्थ प्राप्त करने की कामना २।१२१ इच्छापणीय--इन्द्रिय और मन की विषयानुकूल प्रवृत्ति के द्वारा संचालित ४११६ इच्छालोम-निदान बाबा२३ इत्तरिय -इंगिनीमरण अनशन ८।१०६ ८९ Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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