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परिशिष्ट ३: विशेष शब्दार्थ
३।४५
३३४
पुढो-विस्तीर्ण
२०५७ पुण्ण-संपन्न
२।१७४ पुराणकुम्मास -बासी उडद
९।४।१३ पुलाक ---चने आदि का रूखा भोजन
९।४।१३ पेसल-कषायों का उपशमन
६।१०७ फरुस --कष्ट
९।३।१३ फरुसिय-कष्ट
३७ फल-चपेटा
९।३।१० फलगावयट्ठि-फलक की भांति छिला जाता हुआ ६।११३ फारुसिय-ज्ञान के अहं से गुरु की अवमानना ६७७ फास-आघात
२१५५ ० कष्ट
२।१६१ • इन्द्रियसुख
५.८५ • शीत, उष्ण आदि परीषह
६।९९ फुसिय--जल-कण, बूंद
५५ बंभ-आचार, सत्य, तप बंभचेर-आचार, मैथुन-विरति, गुरुकुलवास ४।४४
• आत्मरमण, उपस्थ संयम, गुरुकुलवास ५॥३५ ० चारित्र, गुरुकुलवास
६।३० बंभव-आचारनिष्ठ, सत्यनिष्ठ, तपोनिष्ठ बक्कस -सत्तू या चने का भोजन
९।४।१३ बाल-अज्ञानी
२०७४ • हिंसा में प्रवृत्त
२।१४५ बालभाव-अज्ञान
५११०० बालवयणिज्ज-साधारण जन के द्वारा भी निन्दनीय ६५६ बुद्ध--विवेकसंपन्न
४।४७ भंजग (३) वृक्ष
६७ भूत--जो थे, हैं और रहेंगे, वे प्राणी
४१ भेउरधम्म -- अनित्य
२२९६ ० नष्ट होने के स्वभाव वाला
५२२९ भेरव - भयानक रूप मत्ता-मात्रा
२०६५ मद्दविय --मार्दव, अहंकार-विवेक
६।१०२ ममाइय--ममीकार, ममत्व
२।१५६ मरण-संसार, बाधासहित प्रवृत्ति
२२९६ मह-महान् अर्थात् मोक्षलक्षी
५।११२ महाजाण-महापथ, क्षपकश्रेणी
३१७८ महामोह-अब्रह्मचर्य, विषयाभिलाषा
२२९४ महावीहि-महापथ (अहिंसा, समता)
११३७ माइ-विषय-कषाय से संस्कारित चित्त वाला ३।१४ माणावादि-अपने गुणों की परिकल्पना से उत्पन्न मानवाद
२२५०
मायण्ण-मात्रज्ञ
२।११० मार-मृत्यु अथवा काम
३१६६ • मदनकाम-विषयाभिलाषा
५३ माहण-अहिंसक मिहोकहा-कामकथा, भोजनकथा
९।१।१० मुणि-परम ज्ञानी, भगवान् महावीर
२०७० ०ज्ञानी
२।९९ मुयच्च-देह के प्रति अनासक्त
४।२८ मूढ-मोह से ग्रस्त, वयं और अवयं के विवेक से शून्य
२११५१ मूल-राग-द्वेष, मोहनीय कर्म
२३४ मूलट्ठाण-आधार
२।१ मूसियार-बिल्ली
९।४।११ मेहावि-मर्यादावान्
११७० मोण--ज्ञान, संयम
२।१०३ • अपरिग्रह का ज्ञान, संयम का अनुष्ठान ५।३८ • काम विरति
५८८ रायंस-राजयक्ष्मा राय-रात्र-रात्रि के प्रथम दो प्रहर
९।४१६ रायोवराय-पूरी रात
९।४।६ रिक्कासि (वे)-छोडना
९।१४ रह-जन्म-धर्मा
५।१३३ रूव-शरीर
५।२९ ० चक्षु इन्द्रिय का विषय, इन्द्रिय-विषय, पदार्थ ४९ लज्जमाण-हिंसा-विरत
१।१७ लटि-शरीर-प्रमाण लाठी
९।३१५ लहुभूयकामि-लघुभूत-संयम, संयम की कामना करने वाला
३।४९ लहुभूयगामि लघुभूत अर्थात् वायु । वायु की भांति गमनशील, अप्रतिबद्धविहारी
३१४९ लाविय-लाधव, वस्त्र आदि की अल्पता ६।१०२ लाढ-अनार्य देश, पश्चिम बंगाल के तमलुक, मिदनापुर,
हुगली तथा वर्दवान जिल्ले का हिस्सा ९।३२ लुपित्ता-प्रहार करने वाला
२।१४ लूसग-उपद्रवकारी
६।९९ लूह-संयम
६।११० लूहदेसिय--रूक्ष भोजन
९।२३ लोग-शरीर
२।१२५ ० लोभ, ममत्व
२।१५९ • जीव समूह
३३३ लोगवित्त-लोक का चारित्र
५॥३२
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