Book Title: Acharangabhasyam
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 583
________________ वर्गीकृत विषय-सूची ५३६ के तीन साधन ५॥११४ आरम्भ से उत्पन्न ३११३; ४।२९ कष्ट-वेदन की तरतमता ४।१८ का चक्र पृ.५ परिहार ३८४ हेतु ३८१, ४१३१ की कारण शृंखला ३८३ परिज्ञा २।१७१; ४।३० मीमांसा ३।२ के आवर्त में अनुपरिवर्तन २०७४,१८६ नाना रूप वाला श२५ प्रतिकार के लिए कर्म-समारम्भ २९-१० मुक्ति से उपाय ३।९,६४ द्रष्टा उपाधि मुक्त ३१८७; ४१५३ का दर्शन ३७२,८५ स्वरूप २०११८,१८५ के व्यपदेश नहीं २।७३,१८५ द्वारा पदार्थों का परिभोग २०११८ धर्मोपदेश अहिंसा धर्म का ४।३ करने में श्रेष्ठ २११७८ किसका ६।१०२ किसको ४।३,१३, ६।१०२ की विधि २११७६; ६।१०१, ८१९-१० प्रतिपादक की अर्हता ६।१०० मुक्तिमार्ग के आख्यान का ६।३ में अभेद भाव २११७४ पराक्रम ६।४ पुरुष और नय का विवेक २।१७७ सावधानी २११७५ विवेक पूर्वक ६।१०३-१०४ धर्मोपदेशक असन्दीन द्वीप ६।१०५ आख्याता का स्वरूप ६।१-२ धुत अचिकित्सा धुत ६।२३, आचार की साधना ३।६० आचार सेवी मुनि ६।५९ का अर्थ ६।२४ काम्य परित्याग धुत ६।३० वाद का प्रतिज्ञा सूत्र ६।२४ साधना का प्रथम कारण-आत्म-प्रज्ञा पृ. २९७ ध्यान अकर्मा की साधना २।३७; ५।१२० अनन्य दर्शन २०१७३ अन्तरात्मा की संप्रेक्षा २।११ अनिमेष प्रेक्षा या त्राटक २।१२५ अपाय विचय २।१६१ अल्पायुष्य का विचय सूत्र २।४ आत्म-संप्रेक्षा ४१३२ आत्म-समाधि ४१३३ और चैतन्य केन्द्र ५।२०,२१,४१ निरुद्धायष्क संप्रेक्षा ४।३४ निष्कर्म दर्शन ३।३५ परम दर्शन पृ. ९, ३३३३, ३८ प्रकम्पन दर्शन ४।३७ प्रतिपक्ष भावना २०३६ प्रेक्षा करना २।१६० भेद विज्ञान ३।४; ८।१०७,१२७ महावीर का, देखें --महावीर मार्ग की अपेक्षा ? ॥३० विचयात्मक २।१६० विपश्यना का २।१२५ शरीर संप्रेक्षा श२१ संधि को देखना ५।३० पंडित आत्मज्ञ ६७३ विपाक दर्शन २०१३१ विरतिमान ४।३२; ५५४४ समत्वदर्शी २०५१, ५।४०% ८।३१ पथ का द्रष्टा २।१५७; ३।३७ कुमार्ग का निषेध ११०८ पर आरोहण २५० परम का अर्थ ३।२८ तत्त्व में लीन-उच्चालयिक ३२६३ मोक्षलक्षी, अबहिर्मना ५२११२ परम आत्मा ५।१२३-१४० परिग्रह और काम की एकसूत्रता २।३१ क्रूरता का परिणाम २०७१ हिंसा का कार्य-कारण भाव धन २११८४ काम का साधन २०७५ की तीन अवस्थाएं २०६८ बहुलता के हेतु २०६५ के प्रति मूर्छा २०६६-६७ देखें-परिग्रह धन-अर्जन और लोभ ३१४२ विनाश की मीमांसा २०८०-८५ का मानसिक हेतु २०१५ के पीछे चितन २१८० लिए क्रूर कर्म २६९ का असंग्रह २।१५५ त्याग २११५६ मूल २।१२१ स्वरूप ५।३१ के परिणाम २१५६-६१ परिहार में असमर्थ २१७२ प्रकार ५१३२ लिए हिंसा और निग्रह २०६५ संयम-हेतु पराक्रम ५॥३४ सूत्र पृ.८५-८६ धन के प्रति मूर्छा २१६६-६७ देखें-धन पदार्थ और अज्ञानी २३३ - पदार्थगत एवं बुद्धिगत २।१५६ महान भय का हेतु ५।३२ में प्रमत्त की आत्मानुभूति ५।३७-३८ विचार का आग्रह या ममत्व २।१७६ आश्वासन स्थान ६७२ का ज्ञाता ४२८ पालन ६१४८ गांव में या अरण्य में ८।१४ । से अनजान २९३ च्युत का जन्म-मरण २४८-४९ धर्मवान् ३।४ Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590