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श्रीआचा राजवृत्तिः (शीलाङ्का.)
श्रुतस्कं०२ चूलिका ? भाषा०४ उद्देशकः २
४८..॥
भिक्ख वा २ तहेव गंतमुजाणाई पव्वयाई वणाणि वा रुक्खा महल्ले पेहाए नो एवं वहज्जा, तंजहा-पासायजोग्गाति वा तोरणजोग्गाइ वा गिहजोग्गाइ वा फलिहजोग्गाइ वा अग्गलजोग्गाइ वा नावाजोग्गाइ वा उदगजोग्गाइ वा दोणजोग्गाइ वा पीढचंग बेरनंगलकुलियजंतलट्ठीनाभि(लि)गंडीआसणजोग्गाइ वा सयणजाणउवस्सयजोग्गाई वा, एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव नो भासिन्जा ५॥ से भिक्ख वा २ तहेव गंतुमुज्जागाई पध्वयाणि वणाणि य रुक्खा महल्लपेहाए एवं वइज्जा, तंजहा--जाइमता इवा दीहवहा इवा महालया इ वा पयायसालाइ वा विडिमसाला इ वा पासाइया इवा जाव पडिरूवाति वा एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव अभिकख भासिजा ॥ से भिक्ख वा २ बहुसंभूया वणफला पेहाए तहावि ते नो एवं वडजा, तंजहा-पक्का इवा पायखजा इ वा वेलोइया इ वा टाला इ वा वेहिया इवा, एयप्पगारं भासं सावज्ज जाव नो भासिज्जा ७॥ से भिक्ख वा २ बहुसंभूया वणफला, अंबा पेहाए एवं वइजा, तंजहा-असंथडा इवा बहुनिवटिमफलाइ वा बहुसंभूया इवा भूयरुचित्ति बा, एयप्पगारं भासं असावळजाव भासिज्जा८॥से भिक्ख वा २ पहसंभूया ओसही पेहाए तहावि ताओ न एवं वइज्जा, तंजहा-पक्का इ वा नीलीया इ वा छवीइया ।