Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 414
________________ भीआचाराजवृत्तिः (शोलाका.) श्रुतः . चुलिका २ सप्तकका. ॥८५६॥ वेवादीनि प्रतीतान्येव, नवरं खरमुही-तोडाडिका 'पिरिपिरियत्ति कोलियकपुटावनद्धा वंशादिनलिका, इत्येष सूत्रचतुष्टयसमुदायार्थः ॥ किश्च से भिक्खू वा २ अहावेगइयाई सद्दाइ सुणेह, तंजहा-वप्पाणि वा फलिहाणि वा जाव सराणि वा सागराणि वा सरसरपंतियाणि वा अन्नयराइ वा तहप्पगाराई विरूवरूवाइ सदाइ कण्णसोयपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए ?॥ से भिक्खू वा २ अहावेगइयाइ' सद्दाइ सुणह, तंजहा-कच्छाणि वा णमाणि वा गहणाणि वा वणाणिवा वण दुग्गाणि वा पव्वयाणि वा पव्वयदुग्गाणिवा अन्नयराई वा तहप्पगाराई विरूवरूवाइसहाई कण्णसोयपडियाए नो अभिसंधारिजा गमगाए २॥ से भिक्खू वा २ अहावेगइयाई सद्दाई सुणेइ, तंजहा-गामाणि वा नगराणि वा निगमाणि वा रायहाणाणि वा आसमपट्टणसंनिवेसाणि वा अन्नयराइ वा तहप्पगाराई विरूवरूवाई सद्दाई कण्णसोयपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए ३ ।। से भिक्खू वा २ अहा. वेगइयाई सद्दाई सुणेइ, तंजहा-आरामाणि वा उजाणाणि वा वणाणि वा वणसंडाणि वा देवकुलाणि वा स्भाणि वा पवाणि वा अन्नयराइ वा तहप्पगाराइ' विरूवरूवाई सद्दाई कण्णसोयपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए ४ ॥ से भिक्ख यहाणालियाईसहायपडियायदुग्गाणि

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