Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri,
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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१
णं भगवओ महावीरस्स अम्मा वासिद्धस्सगुत्ता तीसे णं तिन्नि नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहातिसला इ वा विदेहदिन्ना इ वा पियकारिणी इ वा ३। समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पित्तिाए सपासे कासवगत्तेणं ४। समणस्स णं भगवओ महावीरस्स जि? भाया नंदिवद्धणे कासवगुत्तेणं ५। समणस्सणं भगवओ महावीरस्स जेट्ठा भइणी सुदंसणा कासवगुत्तेणं । समणस्स णे भगवओ महावीग्स्स भज्जा जसोया कोडिन्नागुत्तेणं ७ । समणस्स में भगवओ महावीरस्स धूया कासवगोत्तेणं तीसे णं दो नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहा-अणुज्जा इ वा पियदंसणा इ वा । समणस्स णं भगवओ महावीरस्स नई कोसिया गुत्तेणं, तीसे गं दो नामधिज्जा एवमाहिज्जंति, तंजहासेसवई इ वा जसवई इ वा ॥ मू० १७७॥ समणस्स णं भगवओ महावीरस्स अम्मापियरो पासावच्चिज्जा समणोवासगा यावि हुत्था, तेणं बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पालइत्ता छण्हं जीवनिकायाणं सारक्खणनिमित्तं आलोइत्ता निंदित्ता गरिहित्ता पडिकमित्ता अहारिहं उत्तरगुणपायच्छित्ताई पडिवज्जित्ता कुससंथारगं दुरूहित्ता भत्तं पञ्चक्खायंति २ अपच्छिमाए मारणंतियाए सरीरसंलेहणाए झुसियसरीरा कालमासे कालं किया तं सरीरं विप्पजहित्ता अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ना, तओणं आउक्खएणं भवक्खएणं ठितिक्खएणं चुए चहत्ता महाविदेहे वासे चरमेणं उस्सासेणं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति
८८१॥

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