Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 449
________________ ॥ ८६१ ॥ ܀܀܀܀܀܀܀܀ मणसा वयसा कायसा, तस्स भंते ! पडिक्कमामि जाव वोसिरामि २४ ॥ तस्माओ पंच भावणाओ भवंति - तत्थिमा पढमा भावणा- अणुवीहमासी से निग्गंथे नो अणणुवीहमासी, केवली बूया -अणणुबीमासी से निग्गंथे समावज्जिज्ज मोर्स वयणाए, अणुवीहमासी से निग्गंथे नो अणरणुवीहभासिचि पढमा भावणा १ । अहावरा दुच्चा भावणा- कोहं परियाणइ से निग्गंथे नो कोहणे सिया, केवली बुया - कोहप्पत्ते कोहत्तं समावइज्जा मोसं वयणाए, कोहं परियाणा से निग्गंथे न य कोहणे सियति दुच्चा भावणा २ । अहावरा तच्चा भावणा-लोभं परियाणइ से निग्गंथे नो अ लोभणए सिया, केवली बूया - लोभपत्ते लोभी समावइज्जा मोसं वयणाए, लोभं परियाणा से निग्गंथे नो य लोभणए सियत्ति तच्चा भावणा ३ । अहावरा चउत्था भावणा-मयं परिजाणह से निग्गंथे नो भयभीरुए सिया, केवली वूया -भयपत्ते भीरू समावइज्जा मोसं वयणाए, भयं परिजाणइ से निग्गंथे नो भयitor सिया चउत्था भावणा ४ । अहावरा पंचमा भावणा-दासं परियाणइ से निग्गंथे नो य दासाए सिया, केवली वूया -हासपत्ते हासी समावइज्जा मोसं वयणाए, हासे परियाणइ से निग्थे नो हासणए सियति पंचमी भावणा ५। एतावता दोच्चे महत्वए सम्मं काएण फासिए जाव आणाए, आराहिए यानि भवइ दुच्चे भंते । महव्वए २४ ॥ अहावरं तच्चं भंते ! महव्वयं पच्चक्खामि सव्वं अदिन्नादाणं, से गामे वा नगरे वा रन्ने वा अप्पं वा बहुं वा अणु वा धूलं वा चित्तमंतं वा ܀܀܀܀܀ ॥ ६१ ॥

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