Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 453
________________ H६५ ॥ तत्थ, ते भिक्खू परिवज्जए ॥ १ ॥ सोयओ जीवे मणुनामणुनाई सद्दाई सुणे, पढमा भावणा १ । अहावरा दुच्चा भावणा - चक्खूओ जीवो मणुन्नामणुनाई रुवाई पास मणुना मणुन्नेहिं रूवेहिं सज्जमा जात्र विणिधायमावज्जमाणे संतिभेया जाव भंसिज्जा, न सका रूवमद्दट्टु, चक्खुविसय-' मागयं । रागदोसा उ जे तत्थ, ते भिक्खू परिवज्जए ॥ १ ॥ चक्खुओ जीवो मरणुन्नामना रूबाई पासह, दुच्चा भावणा २ । अहावरा तच्चा भावणो- घाणओ जीवे मरणुन्नामगुन्नाई गंधाई art मन्नान्नेहिं गंधेहिं नो सज्जिज्जा नो रज्जिज्जा जाव नो विणिधाय मावज्जिज्जा, केवली वूया - मणुन्नामणुन्नेहिं गंधेहिं सज्ज़माणे जाव विणिधायमावज्जमाणं संतिभेया जांव मंसिज्जा, न सका गंधमग्घाउं, नासाविसयमा गयं । रागदोसा उ जे तत्थ, ते भिक्खू परिवज्जए ॥ १ ॥ घाणओ जीवो मरणुन्ना मरणुन्नाई गंधाई अग्घायत्ति तच्चा भावणा ३। अहावरा चउत्था भावणा - जिन्भाओ जीवो मणुन्नामणुन्नाहं रसाई अस्साएइ, मणुन्नामगुन्नेहिं रसेहिं नो सज्जिज्जा, जानो विणिघ(यमा वज्जिज्जा, केवलो बूया-निग्गंथे णं मन्तामणुन्नेहिं रसेहिं सज्जमाणे जांब विणिधाय मावज्जमाणे संतिभेया जाव भंसिज्जा, ―न सक्का रसमस्साउं, जीहाविसयमागयं । रागहोता उ जे तत्थ, ते भिक्खू पग्विज्जए ॥ १ ॥ जीहाओ जीवो मणुन्नामगुन्नाई रसाई, अग्साएइति चउत्या भावणा ४ । अहावरा पंचमा भावणा - फासओ जीवो मणुन्नामगुन्नाई फासाई पडि संवे ॥ ८६५ ॥

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