Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri,
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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श्रुत..
भीआचापनवृत्तिः (शीलावा.)
चूलिका०३ भावना
.८६२॥
अचित्तमंतं वा नेव सयं अदिन्नं गिहिज्जा नेवन्नेहि अदिन्नं गिहाविज्जा अदिन्नं अन्नपि गिण्हतं न समणुजाणिज्जा जावज्जीवाए जाव वोसिरामि २५॥ तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति, तत्थिमा पढमा भावणा-अणुवीइ मिउग्गहं जाई से निग्गंथे नो अणणुवीइमिउग्गहं जाई से निग्गंथे, केवली व्या-अणणुवीइ मिउग्गहं जाई निग्गंथे अदिन्नं गिण्हेज्जा, अणुवीइ मिउग्गहं जाई से निग्गंथे नो अणणुवीइ मिउग्गहं जाइत्ति पढमा भावणा १। अहावरा दुच्चा भावणा-अणुनविय पाणभोयणभोई से निग्गंथे नो अणणुभवित्र पाण भोयणभोई, केवली बूया-अणणुन्नविय पाणभोयण भोई से निग्गंथे अदिन्नं भुजिज्जा, तम्हा अणुन्नविय पाणभोयण भोई से निग्गंथे नो अणणुन्नविय पाणभोयणभोईत्ति दुच्चा भावणा २ । अहावरा तच्चा भावणा-निग्गंथेणं उग्गहंसि उग्गहियंसि एतावताव उग्गहणसीलए सिया, केवली व्या-निग्गंथेणं उग्गहंसि अणग्गहियंसि एतावता अणग्गहणसीले अदिन्नं ओगिव्हिज्जा, निग्गंथेणं उग्गहं उग्गहियंसि एतावताव उग्गहणसीलएत्ति तच्चा भावणा३ । अहावरा चउत्था भावणा-निग्गंथेणं उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलए सिया, केवली ब्या-निग्गंथेणं उग्गहसि उ अभिक्खणं २ अणग्गहणसीले अदिन्नं गिहिज्जा, निग्गंथे उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलएत्ति चउत्था भावणा ४ । अहावरा पंचमा भावणाअणुवीह मिउग्गहनाइ से निग्गंथे साहम्मिएसु, नो अणणुवीई मिउरगहजाई, केवली बूया-अणणुवीइ
an८६२॥

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