Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 436
________________ श्रीआचाराजवृत्तिः हीलावा.) श्रतस्क०३ चूलिका २ भावनाध्या ८७८॥ संनिवेसंमि उममदत्तस्स माहणम्स कोडालसगोत्तस्स देवाणंदाए माहणीए जालंधरस्स गुत्ताए सीहुम्भवभूएणं अप्पाणेणं कृच्छिसि गम्भं वकते । । समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए यावि हुत्था, चइस्सामित्ति जाणइ चुएमित्ति जाणइ चयमाणे न याणेइ, सुहुमे णं से काले पन्नत्ते २ । तओं णं समणे भगवं महावीरे हियाणुकपएणं देवेणं जीयमेयंतिकटु जे से वासाणं तच्चे मासे पंचमे पक्खे आसोयबहुले तस्सणं आसोयबलस्स तेरसीपक्खेणं इत्युत्तराहिं नक्खत्तेणे जोगमुवागरणं बासीहिं राइदिएहिं वदवकतेहिं तेसीइमस्स राइंदियम्स परियाए वट्टमाणे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसाओ उत्तरखत्तियकुडपुरसंनिवेसंसि नायाणं खत्तियाणं सिद्धत्थस्स खत्तियरस कासवगुत्तम्स तिसलाए खत्तियाणीए वासिट्ठमगुत्ताए असुभाणं पुग्गलाणं अवहारं करित्ता सुभाणं पुग्गलाणं पक्खेवं करित्ता कुच्छिसि गम्भं साइरइ, जेवि य से तिसलाए खत्तियाणीए कुच्छिसि गम्भे तंपि य दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसंसि उसमदत्तस्स माहणस्स कोडालस्स गोत्तस्स देवानंदाए माहणीए जालंधरायणगुत्ताए कुच्छिसि गम्भं साहरह'३। समणे भगवं महावीरे तिम्राणोवगए यावि होत्थासाहरिज्जिस्सामित्ति जाणइ साहरिज्जमाणे न याणइ साहरिएमित्ति जाणइ समणाउसो ! ४ । तेणं कालेणं तेणं समएणं दिसलाए खत्तियाणीए अहऽनया कयाई नवण्हं मांसाणं बहुपडिपुत्राणं अद्धट्ठमाणराईदियाणं वीइक्कंताणं जे से गिम्हाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे चित्त सुद्धे तस्स णं चित्तसुद्धस्स lan७८॥

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