Book Title: Acharanga Sutra Satikam Part 02
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 415
________________ 1८५७॥ वा २ अहावेगइयाई महाईसुणेइ, तंजहा–अट्टाणि वा अद्यालयाणि वा नरियाणि वा दाराणि वा गोपुर,णि वा अन्न यराईवा तहप्पगाराइ विरूवरूवाई सद्दाई कण्णसोयपडियाए नो अभिसंधारित्रा गमणाए ५॥ से भिक्ख वा २ अहावेगइमाई सहाइ सुणेइ, तंजहा–तियाणि ग चउक्काणि वा चच्चराणि वा, चउम्मुहाणि वा अन्न. यराइ वा तहप्पगाराविरूवरूवाइ सहाई कण्णसोयपडिया नो अभिसंधारिजा गमणाए ॥ से भिक्ख वा २ अहावेगइयाई सद्दाइ सुणेई', तंजहा-महिसकरण हाणाणि वा वसभकरणट्ठाणाणि वा अस्सकरणट्ठाणाणि वा.हस्थिकरणट्ठाणाणि वा जाव कविंजलकरणट्ठाणाणि वा अन्नयराई वा तहप्पगाराई विरूवरूवाई सद्दाई कण्णसोय पडियाए नो अभिसधारिजा गमणाए ७॥से भिक्ख वा २ अहावेगइयाई सहाई सुणइ, तजहा-महिसजुडाणि वा जाव कविंजलजुडाणि वा अन्नयराई वा तहप्प गाराई विरूवम्वाइ सहाई कण्णसोयपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए ८ ॥ से भिवाव वा २ अहावेगइयाई सद्दाई सुणेइ, तंजहा-पुवजूहियठाणाणि वा हय जूहियठाणाणि वा गयजूदियठाणाणि वा अन्नयराई वा तहप्पगाराई विरूवरुवाई सहाई कण्णसोयपडियाए नो अभिसंधारिजा.गमणाए ॥ सू०१३९॥ ॥८५७॥

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